फिर गरमाया बुंदेलखंड अलग राज्य का मुद्दा

वीरेंद्र नाथ भट्ट।

इस विधान सभा चुनाव में एक बार फिर बुंदेलखंड को अलग राज्य का मुद्दा गरमा गया है। विधान सभा चुनाव के  चौथे चरण में बुंदेलखंड के सात जिलों में 23 फरवरी को मतदान होगा। 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश के विभाजन का मुद्दा उछाला था। भारतीय जनता पार्टी हमेशा छोटे राज्यों की पक्षधर रही है और उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन नवम्बर 2000 में केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय हुआ था। मोदी सरकार बुंदेलखंड राज्य की पक्षधर नहीं लगती। नरेंद्र मोदी ने उरई की जनसभा में कहा था कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर बुंदेलखंड में विकास की गति तेज करने के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाएगा जो मुख्यमंत्री के आधीन होगा।

इस बार मायावती ने एक बार फिर बुंदेलखंड को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया है। झांसी में हाल में एक जनसभा में मायावती ने कहा कि 2011 में उत्तर प्रदेश विधान सभा ने उत्तर प्रदेश के बंटवारे का प्रस्ताव भी पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कूड़ेदान में डाल दिया था। लेकिन इस बार बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर बसपा केंद्र सरकार पर राज्य के गठन के लिए दबाव बनाएगी। उत्‍तर प्रदेश के विभाजन की बात पहली बार मायावती ने 9 अक्‍टूबर 2007 को पार्टी के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि के दिन की थी।

बुंदेलखंड को राज्य का दर्जा देने की मायावती की पहल के बाद कांग्रेस के पहली बार सांसद बने राहुल गांधी भी  इस अभियान में जुट गए थे। राहुल गांधी ने बुंदेलखंड के स्थानीय नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिल कर बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण बनाने की मांग की थी। लेकिन यह मांग संविधान के विरुद्ध होने के कारण बात आगे नहीं बढ़ी। 2008 में केंद्र सरकार ने एक केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी की एक टीम भेजी थी।

इस टीम ने बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों का दौरा कर बुंदेलखंड विकास पैकेज देने की सिफारिश की थी। बुंदेलखंड के सात जिले उत्तर प्रदेश में हैं और छह मध्य प्रदेश में। उत्तर प्रदेश सरकार को पैकेज के तहत लगभग 3,800 करोड़ रुपये मिले थे, जिसे कृषि, चेक  डैम, जल संसाधन, सिंचाई, पेय जल, कृषि उत्पादन मंडी समिति आदि पर खर्च होना था।

मायावती के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में काम शुरू हुआ था और तभी से घोटाले के खबरें आने लगीं थीं। प्रमुख था ट्रैक्टर घोटाला। बांदा के मूल निवासी बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता नसीमुद्दीन ने अपने रिश्तेदारों को ट्रैक्टर बांट दिए थे। समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने दो करोड़ की लागत से पार्क बनवा दिया और सूखाग्रस्त इलाके में उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी समिति ने 90 मंडियां बनवा डाली।

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