बीएसएफ जवान तेज बहादुर को भारी पड़ा सच बोलना

नई दिल्‍ली।

सिस्‍टम की खामियों पर आवाज बुलंद करना बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव को भारी पड़ा है। अनुशासनहीनता के आरोप में उन्‍हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। कुछ महीने पहले उन्‍होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर जवानों को मिल रहे खराब खाने की शिकायत की थी। इसके बाद कई जवानों के वीडियो सामने आए थे। इन वीडियो को लेकर काफी विवाद हुआ था। पीएमओ ने इस मामले में गृह मंत्रालय और बीएसएफ से रिपोर्ट मांगी थी।

यादव ने अपने सीनियर अधिकारियों पर भी भोजन की राशि के नाम पर घपला करने का आरोप लगाया था। उनका वीडियो वायरल हो गया था। खबरें ऐसी भी आई थीं कि यादव ने इस विवाद के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की अर्जी दी थी, लेकिन उस पर कोई फैसला लेने से पहले ही अधिकारियों ने उन्‍हें बर्खास्त कर दिया।

इस फैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया पर छा गई हैं। ओम प्रकाश सिंह कहते हैं- एकदम सही हुआ….पहले निज अनुशासन तब शासन। अभिषेक यादव कहते हैं कि बीएसएफ की छवि खराब करने का आरोप लगा है। वरिष्‍ठ पत्रकार चरण सिंह राजपूत के मुताबिक इस प्रकरण से यह बात प्रमुखता से उभर कर सामने आई है कि व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने वाले व्यक्ति को व्यवस्था बनाने वाले बर्दाश्त नहीं कर पाते। यह राजनीति हर बुलंद आवाज के खिलाफ होती है।

अपनी फेसबुक वाल पर उन्‍होंने लिखा है-मेरा मानना है कि किसी तबके में कहीं थोड़ी बहुत देशभक्ति यदि बची है तो वह गरीब आदमी ही है। सेना में भी अधिकारियों से ज्यादा देशभक्ति जवानों में देखी जाती रही है। ऐसे में कौन बेवकूफ जवान होगा कि सेना की छवि ख़राब करना चाहेगा? निश्चित रूप से तेज बहादुर की बात जब किसी ने नहीं सुनी होगी तब जाकर इस जवान ने यह कदम उठाया होगा। जहां तक सैनिकों से पूछताछ करने की बात है, कौन सैनिक तेज बहादुर के सुर में सुर मिलाकर अपनी नौकरी गवाना चाहेगा?

42 वर्षीय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले हैं। वह 1996 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे। उन्हें जम्मू-कश्मीर स्थित राजौरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट तैनात किया गया था। वीडियो में यादव ने आरोप लगाया था कि सैनिकों को पिछले 10 दिनों से लगातार जली हुई रोटी और पानी मिली हुई दाल खाने में दी जा रही है। यादव ने यह भी आरोप लगाया था कि कई बार जवानों को भूखा रहना होता है। यादव 2032 में रिटायर होने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही बीएसएफ ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया।

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