बिलक़ीस बानो केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने 11 आरोपियों की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत का उम्र कैद का फैसला बरकरार रखा है।

दरअसल,, 3 मार्च, 2002 को गोधरा दंगों के बाद कुल 17 लोगों ने बिलक़ीस के परिवार पर अहमदाबाद के रंधिकपुर में हमला किया था। इस दौरान बिलक़ीस बानो का बलात्कार करने और उनके परिवार के 14 सदस्यों को मार डालने के आरोप में 11 लोगों को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सज़ा दी थी।

21 जनवरी, 2008 को मुंबई की कोर्ट ने 11 लोगों को मर्डर और गैंगरेप का आरोपी माना था। जिसके बाद ट्रायल कोर्ट की ओर से सभी को उम्रकैद की सजा दी गई थी। जिसके बाद सभी आरोपियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील की थी।

2002 में हमले के दौरान बिलक़ीस बानो उस समय मात्र 19 साल की थी, और 5 माह की गर्भवती थी। उस समय उनके साथ भी गैंगरेप किया गया था। इस घटना में बिलकिस की तीन साल की बेटी और दो दिन के बच्चे की भी मौत हुई थी।

जिसके बाद सीबीआई ने अक्टूबर 2016 में कोर्ट में अपील की थी कि दोषियों को फांसी की सजा हो। इसकी वजह बताते हुए सीबीआई ने कहा था कि दोषियों पर कईं हत्याओं, गर्भवती महिला से गैंगरेप करने और जन्मजात बच्चे, तीन साल की बच्ची की हत्या का रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है। हालांकि अदालत ने सीबीआई की इस अपील को आज खारिज कर दिया।

बताते चलें कि 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के दंगों के बाद गुजरात सरकार ने मामले को बंद कर दिया था और अभियुक्तों को ज़मानत दे दी थी। जिसके बाद बिलक़ीस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई गुजरात से बाहर मुम्बई कर दी गई थी।