सिंगूर मामले पर फैसला आने के बाद माकपा के राज्य सचिव डॉ. सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि इस फैसले में कई मुद्दे स्पष्ट नहीं हैं। इससे जटिलताएं और बढ़ गई हैं। पेश है उनसे आर मनोज की बातचीत के प्रमुख अंश :

सिंगूर फैसले पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
इस फैसले में कई चीजें साफ नहीं हैं। सिंगूर में कारखाने की स्थापना नहीं हो पाई, इस वजह से किसानों को जमीन वापस देने का फैसला किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार किसानों को एक तय समय में जमीन लौटानी होगी और मुआवजा भी देना होगा। आशंका इसी को लेकर है। जैसे जिन किसानों ने अपनी इच्छानुसार मुआवजे की राशि लेकर जमीन दी है, उनका क्या होगा? दूसरी ओर जिन किसानों ने मुआवजे की राशि नहीं ली है, वे क्या करेंगे?

कई किसानों ने जमीन के उपजाऊ होने पर आशंका जाहिर की है। आप क्या कहेंगे?
यही तो मैं भी कहना चाहता हूं। बड़ा सवाल यह है कि किसानों को वापस मिलनेवाली जमीन में क्या फसलें हो पाएंगी। अदालत के फैसले के अनुसार कृषि योग्य जमीन नहीं होने पर किसानों को आसपास स्थित कृषि योग्य जमीन मुहैया करानी होगी। यानी उस जमीन को देने के लिए किसी दूसरे की जमीन लेनी होगी। एक को खुश करने के लिए दूसरे का हक मारा जाएगा।

तृणमूल कहती आ रही है कि सिंगूर में नैनो कारखाने के लिए किसानों से जबरन जमीन ली गई। इसमें कितनी सच्चाई है?
यह बिलकुल बेबुनियाद आरोप है। सिंगूर के करीब 90 प्रतिशत किसानों ने अपनी मर्जी से कारखाना निर्माण के लिए मुआवजा की राशि स्वीकार करते हुए अपनी जमीन दी थी। तत्कालीन वाममोर्चा सरकार पर जबरन जमीन अधिग्रहण करने के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है।

अब सिंगूरवासियों के आगे क्या है?
सिंगूर मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार की ओर से क्या कदम उठाये जाएंगे, यह साफ करना होगा। किसानों के लिए उनकी जमीन ही सब कुछ होती है। हम कभी जबरन जमीन अधिग्रहण करने के पक्ष में नहीं थे और न ही रहेंगे। पर सवाल यह भी है क्या कि सिर्फ कृषि पर ही निर्भर रहकर देश का विकास हो सकता है? इस पर सभी को विचार करना चाहिए।