गुलाम चिश्ती

असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के बाद भाजपा की नजर अब मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नगालैंड की सत्ता पर टिक गई है। नगालैंड और मिजोरम में अपने बूते सत्ता हासिल करना भाजपा को आसान नहीं लग रहा इसलिए वह दोनों राज्योंं को नेडा के सहयोगी दलोंं के लिए छोड़ने का मन बना चुकी है। मगर मेघालय और त्रिपुरा में अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी में पार्टी जुट गई है। इसी क्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मई एवं जून में दोनों राज्यों का दौरा करने वाले हैं। पहले माना जा रहा था कि भाजपा मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी मगर नार्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के संयोजक डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने साफ कर दिया है कि पार्टी अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी और सरकार बनाएगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि चुनाव बाद यदि संख्या को लेकर कोई समस्या आती है तो नेडा के सहयोगी दल एनपीपी या अन्य से बातचीत की जाएगी।

21 अप्रैल को हिमंत मेघालय में भाजपा की प्रदेश इकाई की बैठक में शामिल हुए थे। जानकारों का कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आगमन से पूर्व हिमंत वहां की यथास्थिति की समीक्षा करने गए थे। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में हिमंत ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में मेघालय काफी पिछड़ गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मुकुल संगमा राज्य के विकास के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया, ‘2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस की जमानत जब्त हो जाएगी। इन दिनों कांग्रेस की दशा और दिशा दोनों खराब है। एक दिन स्थिति ऐसी आ जाएगी कि कोई उसके टिकट के लिए आवेदन नहीं करेगा। मेघालय कांग्रेस के अधिकांश नेता अपने शीर्ष और राज्य नेतृत्व से क्षुब्ध हैं। उनमें से अधिकांश भाजपा में आने को तैयार हैं। कांग्रेस के मंत्री-विधायक उनके संपर्क में हैं। ऐसे में भाजपा मेघालय में सत्ता परिवर्तन करवा सकती है मगर हम लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव जीत कर सत्ता में आने की तैयारी कर रहे हैं।’

हिमंत का कहना है कि भाजपा मेघालय की सभी 60 सीट पर चुनाव लड़ेगी और 30 से अधिक सीटों पर जीतेगी। उनके मुताबिक, ‘मुकुल संगमा के शासन में मेघालय विकास के मामले में काफी पिछड़ गया है। यहां के तीनों पहाड़ी इलाके – खासी, गारो और जयंतिया की विकास यात्रा ठप पड़ गई है। केंद्रीय योजनाओं का सही ढंग से कार्यान्वयन नहीं हुआ है। मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय और कॉलेजों की स्थापना नहीं हुई है। ऐसे में राज्यवासियों का उनसे क्षुब्ध होना स्वाभाविक है।’ इस मौके पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व मेघालय के पार्टी प्रभारी नलिन कोहली और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष शिबुन लिंग्दोह भी मौजूद थे। पार्टी शिबुन लिंग्दोह को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकती है। इसका संकेत तब मिला जब संवाददाता सम्मेलन में हिमंत ने कहा कि अगली बार राज्य में शिबुन सरकार आएगी।

ईसाई बहुल इस राज्य में बांग्लादेश से आए हिंदू बंगालियों और नेपालियों की संख्या अच्छी खासी है जो भाजपा के प्रत्यक्ष समर्थक बताए जाते हैं। इन दोनों समुदायों का स्थानीय समुदायों के साथ अच्छे संबंध हैं। अधिकांश के वैवाहिक संबंध भी हैं। इन दोनों समुदाय के लोग भाजपा की ओर से नागरिकता कानून में किए जा रहे संशोधन के समर्थक हैं। ऐसे में दोनों समुदाय के वोट भाजपा में जाने की पूरी उम्मीद है। वे स्थानीय समुदायों के अपने सगे- संबंधियों के भी वोट भाजपा को दिलाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा की ओर से बीफ मामले पर पूर्वोत्तर को अलग रखने की घोषणा से स्थानीय लोगों ने राहत की सांंस ली है। चर्चा है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीडी लपांग भाजपा में शामिल हो सकते हैं। यदि लपांग भाजपा में आते हैं तो पार्टी को यहां काफी मजबूती मिलेगी।

उधर, त्रिपुरा में मुख्यमंत्री माणिक सरकार की वजह से माकपा काफी मजबूत है। मगर बांग्लादेश से आए हिंदुओं को नागरिकता देने संबंधी संशोधन बिल के मद्देनजर राज्य का एक तबका यहां भाजपा को मजबूत करने में लगा हुआ है। त्रिपुरा में भाजपा के लिए तृणमूल कांग्रेस वोटकटवा की भूमिका निभा सकती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह इसका क्या तोड़ निकालते हैं, यह उनकी त्रिपुरा यात्रा के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।