उमेश चतुर्वेदी

नर्मदा सेवा यात्रा का विचार कैसे आया?
मैं मई 2016 में नर्मदा पर बने एक पुल का उद्घाटन करने डिंडौरी गया था। वहीं विचार आया कि क्यों न नर्मदा की सफाई को लेकर ऐसा कुछ किया जाए कि नर्मदा के पर्यावरण की भी रक्षा हो और स्वच्छता को लेकर लोगों का नजरिया भी बदले।

कहा जा रहा है कि नर्मदा सेवा यात्रा के चलते नर्मदा के आसपास का पर्यावरण सुधर रहा है। क्या आप अपना मॉडल केंद्र की आपकी पार्टी की सरकार की नमामि गंगे योजना में भी लागू करने का सुझाव देंगे?
देखिए, गंगा बड़ी नदी है। उसके किनारे बहुत सारे ऐसे नगर हैं जो औद्योगिक कचरे का निष्पादन गंगा में करते हैं। गंगा की समस्याएं भी अलग तरह की हैं। इसलिए गंगा की सफाई योजना की नर्मदा की योजना से तुलना नहीं की जा सकती। तमाम चुनौतियों के बावजूद नमामि गंगे योजना भी ठीक से ही आगे बढ़ रही है।

नर्मदा सेवा यात्रा के लिए आपने अलग से बजट रखा है क्या?
नहीं, हमने अलग से बजट नहीं रखा है। वृक्षारोपण का काम वन विभाग के जरिये हो रहा है। फलदार वृक्षों को लगाने में बागवानी और कृषि विभाग सहयोग कर रहा है। सीवेज प्लांट सुधारने की जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्रालय के जिम्मे है। जहां जरूरत होती है वहां राजस्व विभाग भी मदद करता है। नर्मदा विकास प्राधिकरण का भी बजट जगह-जगह सहयोग कर रहा है। कह सकते हैं कि नर्मदा सेवा यात्रा एक फ्लैगशिप योजना है जिसमें वन, कृषि, बागवानी, शहरी विकास और राजस्व विभाग के साथ नर्मदा विकास प्राधिकरण भी काम कर रहा है।