अभिषेक रंजन सिंह

देश के जिन 115 जिलों की पहचान की गई है वहां कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संरक्षण और आधारभूत संरचनाओं को मजबूत किया जाएगा। खास बात यह है कि चिन्हित 115 जिलों में से 30 जिलों में विकास कार्यों की निगरानी नीति आयोग करेगा और 50 जिले संबंधित मंत्रालयों की देखरेख में रहेंगे। नक्सल प्रभावित 35 जिलों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की खास निगरानी रहेगी। ट्रांसफॉर्मेशन आॅफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स के तहत सबसे ज्यादा जिलों का चयन झारखंड और बिहार में हुआ है। ये तमाम जिले शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण जैसे मानव विकास के पैमाने पर काफी पिछड़े हैं। साथ ही बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। इनमें करीब चार दर्जन जिले नक्सली हिंसा के शिकार हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इन जिलों की सूरत बदलने और न्यू इंडिया बनाने के सपने के लिए हर पिछड़े जिले के लिए एक खास कार्यक्रम बनाया है।

झारखंड (19 जिले)- साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, चतरा, पलामू, बोकारो, गढ़वा, दुमका, रामगढ़, गिरिडीह, हजारीबाग, लातेहार, रांची, लोहरदग्गा, सिमडेगा, खूंटी, गुमला।
बिहार (13 जिले)- खगड़िया, बेगूसराय, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सीतामढ़ी, शेखपुरा, मुजफ्फरपुर, नवादा, औरंगाबाद, गया, बांका, जमुई।
छत्तीसगढ़ (10 जिले)- महासमुंद, कोरबा, बस्तर, सुकमा, राजनंदगांव, कांकेर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर।
मध्य प्रदेश (8 जिले)- दामोह, विदिशा, खंडवा, राजगढ़, बड़बानी, सिंगरौली, गुना, छतरपुर।
उत्तर प्रदेश (8 जिले)- चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, चित्रकूट, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर।
ओडिशा (8 जिले)- कालाहांडी, ढेंकनाल, कंधमाल, रायगढ़ा, कोरापुट, बोलंगीर, गजपति, मल्कानगिरी।
असम (7 जिले)- धुबरी, गोलपारा, बारपेटा, दरांग, बक्सा, उदलगुरी, हैलाकांडी।
राजस्थान (5 जिले)- धौलपुर, करौली, जैसलमेर, सिरोही, बाड़मेर।
पश्चिम बंगाल (5 जिले)- बीरभूम, मुर्शिदाबाद, मालदा, नादिया, दक्षिण दिनाजपुर।
आंध्र प्रदेश (3 जिले)- विजयनगरम, कडप्पा, विशाखापत्तनम।
महाराष्ट्र (4 जिले)- नंदूरबार, जलगांव, नांदेड,गढ़चिरौली।
तेलंगाना (3 जिले)- खम्मम, भूपापल्ली, आदिलाबाद।
गुजरात (2 जिले)- नर्मदा, मोरबी।
उत्तराखंड (2 जिले)- हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर।
तमिलनाडु (2 जिले)- विरुद्धनगर, रामनाथपुरम।
पंजाब (2 जिले)- फिरोजपुर, मोगा।
हरियाणा (1 जिला)- मेवात।
मणिपुर (1 जिला)- चंदेल।
केरल (1 जिला)- वायनाड।
मेघालय (1 जिला)– रिबहोई।
मिजोरम (1 जिला)- मामित
कर्नाटक (2 जिले)- कुलबुर्गी, गादग
सिक्किम (1 जिला)- ईस्ट सिक्किम
जम्मू-कश्मीर (1 जिला)-कुपवाड़ा

देश के कुल सर्वाधिक 115 पिछड़े जिलों में सबसे अधिक झारखंड के उन्नीस जिले हैं। इस फेहरिस्त में बिहार के तेरह, छत्तीसगढ़ के दस, उत्तर प्रदेश के आठ और पश्चिम बंगाल के पांच जिले शामिल हैं। इन्हीं जिलों के लिए अगले पांच वर्षों के लिए डिस्ट्रिक्ट एक्शन प्लान बनेगा और इसमें सामाजिक, आर्थिक विकास के अलग-अलग पैमाने पर समयबद्ध लक्ष्य तय किए जाएंगे। गौरतलब है कि इसमें रोजगार के सृजन का रोडमैप भी दिया जाएगा, ताकि इन जिलों में बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सके। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने ओपिनियन पोस्ट से बातचीत में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए केंद्रीय मंत्रालयों में तैनात अतिरिक्त और संयुक्त सचिव स्तर के 115 अधिकारियों को इन पिछड़े जिलों का प्रभारी अधिकारी बनाया है। ये अधिकारी राज्यों के संबंधित अधिकारियों के संपर्क में रहेंगे और डिस्ट्रिक्ट एक्शन प्लान को तैयार कर अमल में लाएंगे। पिछले दिनों इस बाबत कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा ने प्रभारी अधिकारियों की पहली बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने प्रभारी अधिकारियों को तत्काल राज्यों के अधिकारियों के साथ इन जिलों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए टीम बनाने को कहा। कैबिनेट सचिव के मुताबिक इस काम के लिए जिलों में धन की कमी नहीं है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत के मुताबिक, देश के मानव विकास सूचकांक में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए इन जिलों की स्थिति में सुधार लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इन जिलों में विकास कार्यों की निगरानी सबसे अहम होगी। इस संबंध में उन्होंने आंध्र प्रदेश का अनुसरण करने की सलाह दी, जिसके साथ निगरानी के लिए नीति आयोग ने हाल में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।