भाजपा ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपने फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ को उतारकर कर दी है। 30 जनवरी को बुलंदशहर, हापुड़ के धौलाना, लोनी और साहिबाबाद की सभाओं मे योगी ने पश्चिम यूपी के हालात की तुलना कश्मीर से कर माहौल को गरम कर दिया। इसके बाद सहारनपुर, मुजफ्फरनगर में भी योगी की सभा रखी गई है। जाहिर है भाजपा पश्चिम यूपी में हिंदुत्व के हथियार से चुनाव जीतना चाहती है। प्रस्तुत है योगी  पर वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल की फेसबुक पर लिखी गई टिप्पणी-

“ठगबंधन” को भगाओ!
योगी लाओ यूपी बचाओ!
मैने आज योगी आदित्यनाथ का भाषण अखबारों में पढ़ा और यह भी जाना कि किस तरह भीड़ योगी को सुनने के लिए चार घंटे तक डटी रही। योगी कल गाजियाबाद के लोनी इलाके में गए थे। योगी आदित्यनाथ ने सपा-कांग्रेस गठबंधन को “ठगबंधन” बताया और इसके अलावा तमाम अन्य समीचीन विषयों पर वे बेधड़क बोले। मैं आरएसएस की शाखा का मृग नहीं हूं और न ही भाजपा का वोटर। मगर योगी को सुनने के बाद मुझे लगा कि योगी साधुवेश में सहृदय मनुष्य हैं, देश और समाज के सेवक हैं। उनके बारे में मेरे अंदर जो पूर्वाग्रह थे वे खत्म हो गए और अगर योगी मेरे इलाके से खड़े हो जाएं तो मैं न सिर्फ उन्हें वोट करूंगा बल्कि उनके लिए वोट मैनेज भी करूंगा। यानी प्रचार करूंगा। मुझे समझ नहीं आ रहा कि भाजपा के पास जब योगी जैसा समझदार व्यक्ति है तो वह क्यों अपना मुख्यमंत्री चेहरा उन्हें घोषित नहीं करती।

योगी को मुख्यमंत्री बनाने से दो फायदे होंगे। एक कि फिर मुख्यमंत्री निवास की साज-सज्जा पर खर्च होने वाला बजट बचेगा दूसरे वे सिर्फ एक ही आवास से काम चला लेंगे। उनको मौजूदा मुख्यमंत्री की तरह अनेक सरकारी आवास अपने लिए नहीं रखने होंगे। उनके कपड़ों पर कोई खर्च नहीं सिवाय कुछ गेरिक अंगवस्त्रों के। चूंकि वे संन्यासी हैं इसलिए उन्हें सजने की जरूरत नहीं पड़ेगी न हैंडसम दिखने की ललक पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों की भांति होगी। उनके अंदर ब्रह्मचर्य की चमक वैसे भी उनके चेहरे की दीप्ति बनाए रखेगी। योगी हिंदू और मुस्लिम जाति व्यवस्था से ऊपर हैं इसलिए हमारे समाज के जातिभेद को वे नष्ट करने का सुविचारित प्रयास भी करेंगे।

इसके अलावा कल मैने फेसबुक पर एक सज्जन की, जो नाम से मुस्लिम लगे, एक पोस्ट देखी जिसमें उन्होंने एक तस्वीर डाली थी कि योगी अडिग रहे जबकि कलराज मिश्रा ढुलमुल। हुआ यह कि अमित शाह के मंच पर आने के दौरान कुर्सी से नहीं खड़े होने का फैसला कलराज और योगी ने किया था। अमित शाह आए तो मंचासीन केशव मौर्या आदि नेता तो खड़े हो गए पर योगी कुर्सी से नहीं उठे। पर कलराज मिश्रा न अधउठे से हो गए। यानी पंडित जी अंदर से कायर ही हैं। इस माामले में मुझे योगी का व्यवहार न्यायोचित और अडिग लगा। यहां बताता चलूं कि योगी अगर मुख्यमंत्री होते हैं तो कम से कम उप्र में भ्रष्टाचार पर रोक लग जाएगी और अफसरशाही दंडवत हो जाएगी। सांप्रदायिकता का तत्काल प्रभाव से नाश हो जाएगा। क्योंकि गोरख मठ कोई वैदिकों जैसा आचार-विचार वाला नहीं बल्कि लचीला और सर्वधर्मसमभाव को बढ़ावा देने वाला है। इसलिए मैं कहूंगा कि ठगबंधन को भगाओ और योगी लाओ यूपी बचाओ।