साढ़े चार साल मंत्रियों और विधायकों को खुली छूट देनेवाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब एक्शन में आ गए हैं। सोमवार की सुबह उन्होंने अपने ही कैबिनेट के दो ताकतवर मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राजकिशोर सिंह को बर्खास्त कर दिया। अमेठी के मंत्री गायत्री प्रजापति और बस्ती के हरैया के विधायक राजकिशोर सिंह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के प्रियपात्र माने जाते हैं। कहा जा रहा है कि ये बर्खास्तगी दोनों के उपर लगे आरोपों के कारण की गई है। लेकिन जानकारों का मानना है कि कारण सिर्फ यही नहीं है। यह आरोप तो काफी पहले से है फिर इतने लंबे समय तक उन्हें कैबिनेट में क्यों बचाए रखा गया। अब चुनाव आने पर कार्रवाई क्यों हो रही है। कुछ लोग इसे मुलायम सिंह शिवपाल यादव गुट और अखिलेश रामगोपाल यादव गुट के बीच की आपसी लड़ाई भी मान रहे हैं। कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव चुनाव से पहले अपने विकासपुरूष की छवि को चमकाना चाहते हैं और इसमें मुलायम के करीबी नेता बाधक हो रहे हैं। अवैध खनन और जमीन के कब्जे जैसे आरोपों से अखिलेश यादव के किए कराए पर फेर रहे हैं इसलिए दोनों मंत्रियों को अपने क्षेत्र में ताकतवर होने के बावजूद बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। भाजपा इस कार्रवाई को नाटक बता रही है पर अखिलेश समर्थकों का मानना है कि इससे सरकार की छवि सुधरेगी।
गायत्री प्रजापति अमेठी से कांग्रेस के ताकतवर नेता संजय सिंह की पत्नी अमिता सिंह को हराकर विधानसभा पहुंचे थे। मंत्री बनने के बाद उनकी संपत्ति मेंर सैंकड़ों गुना इजाफा होने के आरोप हैं। कहा जाता है कि अवैध खनन से उन्होंने काफी पैसा बनाया। हाईकोर्ट में अवैध खनन पर गायत्री के खिलाफ आज ही सुनवाई होनी थी।
उधर राजकिशोर सिंह बस्ती के हरैया से विधायक हैं और भाजपा के योगी आदित्यनाथ के प्रभावक्षेत्र में अपना खासा असर रखनेवाले राजपूत नेता के तौर पर सपा के लिए कारगर साबित हो रहे थे। लेकिन उनके उपर जमीन कब्जे के आरोप लग रहे थे। मुलायम सिंह के खास होने के बावजूद अखिलेश ने अपने सरकार की छवि के लिए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।