अधिकमास 16 मई से प्रारंभ हो गया है, इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। मलमास या पुरुषोत्तम मास, एक ऐसा मास है जिसमें शास्त्रों के अनुसार कोई भी शुभ एवं मंगल कार्य करने की मनाही है। इस मास में शादी-ब्याह, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।

यह मास 3 साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है। धार्मिक संदर्भ से मलमास को मंगल नहीं माना जाता है लेकिन यह मास पूजा-अर्चना के लिए हमेशा ही श्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं कि पूजा के अलावा यदि इस मास में कोई व्यक्ति किसी तीर्थ स्थल पर भी जाए तो उसकी यात्रा सफल हो जाती है।

यह मास भगवान शिव की आराधना के लिए फलदायी होता है। शिवजी के अलावा मलमास को भगवान विष्णु की पूजा के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है। इस मास में भगवान कृष्ण, श्रीमद् भागवत गीता, श्रीराम की आराधना तथा कथा वाचन से लाभ होता है। मान्यताओं के अनुसार मलमास में पूरे परिवार को एक साथ भोजन करने की सलाह दी जाती है। यह लाभकारी सिद्ध होता है।