पानी पिएं कि बहाएं….

सालों से पानी की मारामारी। पर, क्या सरकारी व्यवस्था भी बुंदेलखंड के सूखे से हारी? शौचालय तो बने खड़े फिर काहे, तड़के, दोपहर और रात तीनों पहर लोटा लेकर भागती फिरे जनता बेचारी? हमारे सवालों पर रमकलिया झल्लाई, गुस्साई। काए का बिना पानी चलथ हैं इ शौचालय। तुम्हई बताओ! पानी पिएं की बहाईं?

सालों से पानी की मारामारी। पर, क्या सरकारी व्यवस्था भी बुंदेलखंड के सूखे से हारी? शौचालय तो बने खड़े फिर काहे, तड़के, दोपहर और रात तीनों पहर लोटा लेकर भागती फिरे जनता बेचारी? हमारे सवालों पर रमकलिया झल्लाई, गुस्साई। काए का बिना पानी चलथ हैं इ शौचालय। तुम्हई बताओ! पानी पिएं की बहाईं?

सरकार ने देखा और दिखाया था, एक ख्वाब। प्रधानमंत्री ने भी सुनाई थी, इसी मुद्दे पर अपने मन की बात। शौचालय हो गली- गली और घर-घर। सपना कुछ तो हुआ साकार। शौचालय बने सैकड़ों और हजार! पर यहां भी उठा पानी का सवाल! पानी बिन तो यह शौचालय भी नकारा।
सरकार ने देखा और दिखाया था, एक ख्वाब। प्रधानमंत्री ने भी सुनाई थी, इसी मुद्दे पर अपने मन की बात। शौचालय हो गली- गली और घर-घर। सपना कुछ तो हुआ साकार। शौचालय बने सैकड़ों और हजार! पर यहां भी उठा पानी का सवाल! पानी बिन तो यह शौचालय भी नकारा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *