क्या तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। कम से कम रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन को तो यही आशंका सता रही है। यही वजह है कि उन्होंने अपने सभी अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि वे विदेशों में रह रहे अपने करीबियों को तुरंत देश वापस ले आएं। ये चेतावनी पुतिन के कार्यालय की तरफ से जारी की गई है। पुतिन ने यह कदम फ्रांस दौरा अचानक रद्द करने के बाद उठाया है। सीरिया संकट को लेकर रूस की आलोचना होने पर पुतिन ने यह दौरा निरस्त कर दिया है। वह अगले हफ्ते पेरिस जाने वाले थे। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि रूस सीरिया में युद्ध अपराधों में लिप्त है। बताया जा रहा है कि ओलांद के बयान के बाद पुतिन ने फ्रांस दौरा रद्द करने का फैसला किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ, रीजनल एडमिनिस्ट्रेटर्स, लॉ मेकर्स और पब्लिक कॉर्पोरेशंस के कर्मचारियों को पुतिन कार्यालय से आदेश जारी किया गया है कि वे विदेशी स्कूलों में पढ़ रहे अपने बच्चों और वहां रह रहे अपने करीबी लोगों को तुरंत देश वापस ले आएं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा आदेश जारी होने के पीछे की असली वजह अभी तक साफ नहीं है। इसकी एक वजह अपने बच्चों को पश्चिम के प्रभाव से बचाना भी हो सकता है। हालांकि रशियन पॉलिटिकल एनालिस्ट स्तानिसलव बेलकोवस्की का कहना है कि यह ऑर्डर बड़े युद्ध के लिए देश के एलीट क्लास को तैयार करने के उपायों का हिस्सा

इस तरह की भी खबरेें आ रहीं हैं कि रूस ने पाेलैंड और लिथुवानिया के साथ लगे बॉर्डर के पास न्यूक्लियर मिसाइलें तैनात कर दी हैं। रूस के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय समझौतों को तोड़ने वाला बताया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस की सेना ने जापान के उत्तर में तैनात अपनी सबमरीन से न्यूक्लियर वॉरहेड ढोने की क्षमता वाले एक रॉकेट का परीक्षण किया है। रूस की मीडिया एजेंसियों के मुताबिक रूस के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक घरेलू साइट से भी मिसाइल छोड़ी गई है। अक्टूबर की शुरुआत में पुतिन के मिनिस्टर्स ने ऐलान किया था कि उन्होंने मास्को के 12 लाख लोगों को सुरक्षित करने के लिए न्यूक्लियर बंकर बना लिए हैं। पूर्व सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाच्येव ने भी कहा है कि रूस और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है।

सीरिया संकट को लेकर इस बार रूस किसी समझौते के मूड में नहीं दिख रहा। रूस ने हाल में यह भी कहा कि सीरिया को लेकर अमेरिका के साथ तनाव बढ़ने के बीच उसके दो जंगी जहाज भूमध्य सागर में लौट रहे हैं। रूस ने कहा था कि उसने अपनी एस 300 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली को सीरिया के टारटस स्थित नौसेना केंद्र में भेजा है।

सीरिया ऐसे बना अमेरिका और रूस का अखाड़ा

2011 में हुई एक घटना ने सीरिया में गृह युद्ध का रूप ले लिया था। कुछ बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुआ ये संघर्ष दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के लिए सबसे बड़ा मानवीय संकट बन चुका है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में तीन लाख लोग जान गंवा चुके हैं और करीब एक करोड़ लोग बेघर हुए हैं। अगस्त 2012 में अमेरिका ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। वहीं मई 2013 के बाद रूस इसमें शामिल हुआ। अमेरिका जहां असद विरोधियों के साथ है वहीं रूस असद सरकार के साथ खड़ा है।

भारत ने संयुक्त युद्धाभ्यास पर जताई आपत्ति 

इस बीच भारत ने अपने पारंपरिक मित्र रूस से पाकिस्तान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। भारत ने वार्षिक द्विपक्षीय शिखर-सम्मेलन से पहले कहा है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के साथ संयुक्त अभ्यास से समस्याएं और बढ़ेंगी। मॉस्को में भारत के राजदूत पंकज सरन ने रूसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती को दिये साक्षात्कार में कहा, “हमने रूसी पक्ष को अपने इन विचारों से अवगत करा दिया है कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले और राजकीय नीति के तौर पर इसे अपनाने वाले पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग एक गलत रुख है और इससे केवल और समस्याएं पैदा होंगी।”

सरन का बयान शनिवार को गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादामिर पुतिन की द्विपक्षीय बैठक से पहले आया है। पुतिन 14 अक्टूबर को  भारत पहुंचेंगे। वह द्विपक्षीय बैठक के अलावा 16 अक्टूबर को ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के सम्मेलन में शामिल होंगे। भारतीय राजदूत के मुताबिक मोदी और पुतिन रक्षा, सुरक्षा और व्यापार के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए चर्चा के अलावा क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।इसके अलावा लंबी दूरी की पांच वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 ‘ट्रायंफ’, कामोव-28 हेलीकॉप्टर की खरीद और सुखोई 30-एमकेआई में सुधार उन सब महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों में शामिल हैं, जिन पर दोनों देशों के बीच चर्चा चल रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गोवा में होने वाले इस शिखर सम्मेलन में भारत-रूस के बीच 30 समझौते बातचीत की टेबल पर होंगे। ऐसी उम्मीद है कि इनमें से कई पर हस्ताक्षर भी हो सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार मुलाकात के बाद पुतिन और मोदी साझा बयान भी जारी करेंगे। इसमें विश्व शांति और स्थिरता पर फोकस होगा। आपको बता दें कि 2017 में भारत-रूस संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। इस यात्रा के दौरान एक डॉक्यूमेंट जारी कर इस उपलक्ष्य में होने वाले कार्यक्रमों के बारे में जानकारी भी दी जाएगी।

उधर रूस के राष्ट्रपति ने कहा है कि रूस आज भी भारत को उन्नत हथियारों और रक्षा प्रौद्योगिकी की आपूर्ति करने वाला अग्रणी देश है। उन्होंने भारत को रूस का ‘विशिष्ट सामरिक साझेदार’ बताया। उन्होंने कहा कि भारत में कई रूसी परियोजनाओं का न सिर्फ व्यावसायिक महत्व है, बल्कि ये दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक व आर्थिक भूमिका अदा करती हैं।