वेंकैया और गाँधी में उपराष्ट्रपति के लिए होगा दिलचस्प मुकाबला

सुनील वर्मा
राष्ट्रपति चुनाव से निजात मिलते ही बीजेपी ने आखिरकार एक सोची समझी रणनीति के तहत अपने दक्षिण भारतीय नेता वेंकैया नायडू को एनडीए के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया l सोमवार शाम बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में वेंकैया नायडू के नाम पर मुहर लगा दी गई l वेंकैया नायडू का मुकाबला यूपीए उम्मीदवार महात्मा गाँधी के पोते गोपाल कृष्ण गाँधी से होगा l उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने का आज आखिरी दिन आज वेंकैया नायडू अपना नामांकन दाखिल करेंगे l एम वेंकैया नायडू ने देर रात केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है l नायडू के जिम्मे आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय की कमान थी l वहीं विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी भी आज अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।

दो सेट में भरेंगे नामांकन

बीजेपी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक वेंकैया नायडू की तरफ से नामांकन के दो सेट दाखिल किए जाएंगे. पहले सेट में बतौर प्रस्तावक पीएम मोदी और अनुमोदक गृहमंत्री राजनाथ सिंह के हस्ताक्षर होंगे l दूसरे सेट में प्रस्तावक वित्त मंत्री अरुण जेटली और अनुमोदक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज होंगी l इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों और सहयोगी दलों से चर्चा करने के बाद वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाने का निर्णय किया गया l पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर नायडू को उपराष्ट्रपति पद के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार बताया l

कई नेताओं ने किया समर्थन का ऐलान

वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित होते ही तमाम नेताओं और राजनीतिक दलों ने उन्हें बधाई दी l तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने नायडू को समर्थन देने की बात कही, तो वहीं टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) की के कविता ने साफ किया कि उनकी पार्टी नायडू की उम्मीदवारी का समर्थन देगी l महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस ने बताया कि वे नायडू के लिए खुश हैं और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए उनसे बेहतर और कोई नहीं हो सकता थाl गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि वेंकैया सिर्फ राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं l राजस्थान से बीजेपी सांसदों ने वेंकैया नायडू से मुलाकात कर उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने पर बधाई दी l

एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी वेंकैया नायडू का राजनीतिक सफर

वेंकैया नायडू शुरु से ही पार्टी के भरोसेमंद रहे हैं। उन्हें 1980 में भाजपा यूथ विंग और आंध्र प्रदेश विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। शुरुआती दौर में वे आंध्र भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी के बाद पार्टी ने उनका कद बढ़ाते हुए 1988 में उन्हें आंध्र भाजपा का अध्यक्ष बना दिया। 1993 से 2000 तक वेंकैया भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहे। 2002 में वे पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वे दिसंबर 2002 तक अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2004 में वह दोबारा अध्यक्ष बने। वेंकैया का जन्म 1947 में आंध्र प्रदेश में हुआ था। वेंकैया ने नेल्लोर के आंदोलन में हिस्सा लेते हुए विजयवाड़ा के आंदोलन का नेतृत्व कियाष 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद वह आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े।आपातकाल के बाद ही उनका जुड़ाव जनता पार्टी से हो गया। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा 2002 से 2004 तक उन्हें का अध्यक्ष बनाया गया।

यूपीए के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी गोपालकृष्ण गांधी का जिंदगी नामा

गोपालकृष्ण गांधी का जन्‍म 22 अप्रैल 1945 को हुआ था। वह देवदास गांधी और लक्ष्‍मी गांधी के बेटे हैं। सी राजगोपालचारी उनके नाना थे। सेंट स्‍टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्‍य में एमए की डिग्री हासिल करने के बाद गोपालकृष्‍ण गांधी ने 1968 से 1992 तक एक आइएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वह स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए। बतौर आइएस अधिकारी उन्‍होंने तमिलनाडु में अपनी सेवाएं दीं। वह 1985 से 1987 तक उपराष्‍ट्रपति के सेक्रेटरी भी रहे। वहीं 1987 से 1992 तक राष्‍ट्रपति के ज्‍वाइंट सेक्रेटरी और 1997 में राष्‍ट्रपति के सेक्रेटरी भी रहे। गोपालकृष्‍ण गांधी ने ब्रिटेन में भारत के उच्‍चायोग में सांस्‍कृतिक मंत्री और लंदन में नेहरू सेंटर के डायरेक्‍टर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं। वह दक्षिण अफ्रीका के एक अत्‍यधिक लोकप्रिय उच्‍चायुक्‍त भी रहे, जहां 1996 में उन्‍हें नियुक्‍त किया गया था। लेसोथो में भी उन्‍होंने भारत के उच्‍चायुक्‍त के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। बाद में उन्‍हें 2000 में श्रीलंका में भारत का उच्‍चायुक्‍त और 2002 में नार्वे में भारत का राजदूत नियुक्‍त किया गया। आइसलैंड में भी भारत का राजदूत बनाया गया। वहीं 2004 से 2009 तक गोपालकृष्‍ण गांधी ने पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल के तौर पर भी अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा गोपालकृष्‍ण गांधी ने विक्रम सेठ के ‘अ सुटेबल ब्‍वॉय’ का हिंदी में अनुवाद किया है। वहीं श्रीलंका के तमिल वृक्षारोपण कर्मचारियों पर एक उपन्‍यास भी लिखा है। गोपालकृष्‍ण गांधी और उनकी पत्‍नी तारा गांधी की दो बेटियां हैं।

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