नई दिल्ली / गुडगाँव । विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के इंटरनेशनल प्रेसिडेंट अशोक सिंघल का मंगलवार को गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल निधन हो गया। सिंघल पिछले कुछ दिनों से यहां भर्ती थे। उन्हें सांस लेने से जुड़ी दिक्कत थी। 89 साल के सिंघल के निधन की खबर विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने मीडिया को दी। बता दें कि सिंघल लंबे समय से रामजन्म भूमि आंदोलन से जुड़े थे। सिंघल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दुख प्रकट किया है।उन्होंने इसे व्यक्ति‍गत हानि बताया है।
सुबह मुलाकात के लिए आए थे आडवाणी
सिंघल का हालचाल जानने के लिए बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और उमा भारती मंगलवार सुबह ही मेदांता हॉस्पिटल पहुंचे थे। दो दिन पहले होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह और प्रवीण तोगड़िया जैसे नेताओं से मुलाकात के बाद सिंघल ने हॉस्पिटल से कहा था, “मैं अभी ठीक हूं, मुझे कुछ नहीं हुआ है। अभी तो अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाना है।” बता दें कि सिंघल से मिलने के लिए बीजेपी के बड़े नेता प्रेसिडेंट अमित शाह भी पहुंचे थे।
हॉस्पिटल में क्यों भर्ती कराना पड़ा था? वीएचपी के मुताबिक, सिंघल को पिछले एक माह से ज्यादा वक्त से सांस से जुड़ी दिक्कत थी। इलाहाबाद में उनका इलाज चल रहा था। लेकिन उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। 20 अक्टूबर को हालात खराब होने पर उन्हें स्पेशल प्लेन से दिल्ली लाया गया था। शुरुआती इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। लेकिन पिछले हफ्ते फिर उन्हें मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा था।
आगरा में जन्मे सिंघल के पिता एक सरकारी अधिकारी थे। विहिप नेता ने बनरास हिंदू यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट से 1950 में बैचलर की डिग्री ली थी। वह 1942 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे। हालांकि स्नातक के बाद उन्होंने पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया। अपने कार्यकाल में वह दिल्ली और हरियाणा के प्रांत प्रचारक भी रहे। 1947 में देश के बंटवारे के बाद वे पूरी तरह संघ में आ गए। 1948 में संघ पर बैन लगा तो उन्हें भी जेल में डाल दिया गया। जेल से छूटने के बाद उन्होंने बीई किया। सिंघल सरसंघचालक गुरु गोलवलकर से बहुत प्रभावित थे। प्रचारक के तौर पर वे लंबे समय तक कानपुर रहे। 1975 से 1977 तक देश में आपातकाल और संघ पर बैन रहा। इस दौरान वे इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ चले अभियान में शामिल रहे। आपातकाल खत्म होने के बाद वे दिल्ली के प्रांत प्रचारक बनाए गए । साल 1980 में अशोक सिंघल को विश्व हिंदू परिषद में संयुक्त महासचिव नियुक्त किया गया। 1984 में वह इसके महासचिव बने और फिर अध्यक्ष बने। अशोक सिंघल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर अपने आक्रामक तेवरों के लिए पहचाने जाते हैं। कट्टर हिंदू नेता होने के अलावा अशोक सिंघल हिंदुस्तानी संगीत के प्रशिक्षित गायक भी थे। उन्होंने पंडित ओमकार नाथ ठाकुर से संगीत की शि‍क्षा ली थी। देश में विश्व हिंदू परिषद की पहचान कायम करने का श्रेय सिंघल को ही जाता है।