न्यूयॉर्क। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने को लेकर भारत की कोशिशें रंग लाती दिख रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा से इसमें और मजबूती आई है। अब अमेरिका ने एनएसजी के सदस्य देशों से अनुरोध किया है कि वे इस विशिष्ट समूह में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करें और इसमें कोई रुकावट न डालें। अब तक भारत की दावेदारी का विरोध कर रहे चीन को भी लगने लगा है कि भारत इस समूह का सदस्य बनने के करीब है। यही वजह है कि उसने अपने सुर में बदलाव करते हुए कहा है कि अगर भारत नियमों को मानने को तैयार है तो वह भी उसकी सदस्यता का समर्थन कर सकता है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अपने दैनिक सम्मेलन में कहा, ‘अमेरिका ने एनएसजी के सदस्य देशों से यह अपील की है कि जब भी एनएसजी की समग्र चर्चा हो तब वे भारत के आवेदन का समर्थन करें। यह चर्चा अगले हफ्ते हो सकती है।’ एक सवाल के जवाब में किर्बी ने कहा, ‘फिलहाल मैं यह नहीं बता सकता कि यह कैसे होगा और ना ही मैं कोई अटकल लगा सकता हूं कि किस तरह से इसे किया जाएगा लेकिन हमने यह साफ किया है कि हम भारत के आवेदन का समर्थन करेंगे।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले सप्ताह अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 48 सदस्यीय समूह के लिए भारत के आवेदन का स्वागत किया था।
जॉन केरी पहले ही लिख चुके हैं चिट्ठी
इससे पहले अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे देशों को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि समूह में भारतीय प्रशासन को शामिल किए जाने पर रुकावट नहीं डालते हुए इस पर सहमति जतानी चाहिए। बहरहाल, एनएसजी का सदस्य नहीं होने के बावजूद भारत अमेरिका के साथ अपने परमाणु सहयोग समझौते के लिए 2008 के एनएसजी नियमों में छूट के तहत इसकी सदस्यता का लाभ ले रहा है।
उधर नामिबिया भी भारत को सशर्त समर्थन करने के लिए तैयार हो गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इन दिनों नामीबिया की यात्रा पर हैं। इस मौके पर वहां के राष्ट्रपति हेज गेनगोब ने कहा कि नामीबिया के पास परमाणु हथियार तो नहीं है लेकिन उसके पास भरपूर परमाणु ईंधन है। नामीबिया चाहता है कि भारत परमाणु ईधन का गलत इस्तेमाल न करे तो वह सहयोग करने के लिए तैयार है।
पाकिस्तान, चीन, तुर्की, ऑस्ट्रिया और दक्षिण अफ्रीका को छोड़ दें तो लगभग सभी देश भारत की एनएसजी में सदस्यता को लेकर एकमत दिख रहे हैं।
हालांकि चीन अब यह मानने लगा है कि अमेरिका, स्विट्जरलैंड और मैक्सिको से समर्थन जुटाने के बाद ऐसा लगता है कि भारत एनएसजी सदस्यता हासिल करने की दिशा में बढ़ गया है। चीन ने यह भी कहा कि अगर भारत नियम माने तो चीन भी समर्थन करने के लिए तैयार है। यह बात चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया है। चीन ने यह भी कहा कि भारत एनएसजी सदस्यता के योग्य नहीं है क्योंकि वह जरूरी शर्तों को पूरा नहीं करता। लेख में कहा गया है कि एनएसजी समूह में शामिल हो जाने के बाद भारत अंतर्राष्ट्रीय बाजार से असैन्य परमाणु और तकनीकी एवं ईंधनों को आसानी से आयात कर सकेगा। इसके अलावा अपनी घरेलू परमाणु सामग्री को सैन्य इस्तेमाल के लिए बचा भी सकेगा। चीन का कहना है कि एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर हस्ताक्षर नहीं करने के कारण भारत एनएसजी की सदस्यता के योग्य नहीं है। चीन इससे भी चिंतित है कि उसका करीबी सहयोगी पाकिस्तान पीछे छूट जाएगा। एनएसजी में प्रवेश मिलने पर भारत वैध परमाणु शक्ति बन जाएगा।