लखनऊ।

उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा के पहले सत्र का पहला दिन सोमवार को हंगामे की भेंट चढ़ गया। समाजवादी पार्टी के साथ ही बसपा व कांग्रेस के विधायकों के प्रदेश में खराब कानून-व्यवस्था को लेकर हंगामा किया। इस वजह से राज्यपाल राम नाईक के संबोधन के बाद दोनों सदन को मंगलवार को दिन में 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिए गए।

जिस कानून व्यवस्था को चुनावी मुद्दा बना कर भाजपा ने उत्तर प्रदेश की सत्ता हासिल की, उसी को मुद्दा बनाकर विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया। हालांकि विपक्ष का विरोध झेलने के लिए भाजपा पूरी तरह से तैयार है। नए विधायकों को सदन में व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सरकार दो महीने के शासनकाल का खाका पेश करेगी।

विपक्ष के हंगामे पर कैबिनेट के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि सपा सरकार खुद राज्य की कानून-व्यवस्था बेहतर नहीं कर पाई और हमसे 50 दिनों की रिपोर्ट मांगी जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाकर सदस्यों से सदन को सुचारू रूप से चलाने में मदद की अपील की थी। राज्यपाल राम नाइक ने हंगामे और नारेबाजी के दौरान ही अपना संबोधन पूरा किया। राज्यपाल के अभिभाषण में राज्य सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं का जिक्र होता है।

उधर, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है, “पचास दिन में ही प्रदेश के हालात ख़राब हो गए हैं। चारों तरफ अराजकता का माहौल है। भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार से जुड़े लोग क़ानून अपने हाथ में ले रहे हैं। ज़िम्मेदार पार्टी होने के नाते हम इस मुद्दे पर सरकार को सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह घेरेंगे।”

सदन में क्‍या हुआ

यूपी विधान सभा में राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी विधायकों ने राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर जमकर नारेबाजी की और विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू कर दिया। समाजवादी पार्टी के सदस्य सभापति की कुर्सी तक पहुंच गए। सभापति के अभिभाषण के दौरान वेल में एक बार फिर विधान परिषद के सदस्य हंगामा करने लगे। वे सदन में प्लेकार्ड लेकर आए थे।

राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होते ही समाजवादी पार्टी के विधायकों ने उनकी ओर कागज के गोले फेंके। हंगामा इतना बढ़ गया था कि राज्यपाल का अभिभाषण भी कोई नहीं सुन पाया। उनकी ओर कागज के ‘गोले’  उछाले जा रहे थे जिसे सुरक्षाकर्मी फाइलों से रोकते साफ नजर आए। इसके बाद विधानसभा दोपहर करीब 12 बजे स्थगित कर दी गई।

ऐसा पहली बार हुआ

प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में करीब 14 साल बाद भाजपा की सरकार बनी है। पहली बार राज्य विधानसभा की कार्यवाही का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया। लंबे समय बाद समाजवादी पार्टी में यादव परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति सदन में पार्टी का नेता होगा। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने रामगोविंद चौधरी को विधायक दल का नेता बनाया था। अखिलेश ख़ुद विधान परिषद के सदस्य हैं।

बीजेपी के तमाम विधायक और मंत्री पहली बार सदन में दिख रहे हैं वहीं दूसरे दलों से बीजेपी में आए कई नेता विधायक और मंत्री के रूप में नज़र आ रहे हैं। इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, रीता बहुगुणा जोशी और ब्रजेश पाठक प्रमुख हैं। पिछली विधान सभा में स्वामी प्रसाद मौर्य बीएसपी में थे और रीता जोशी कांग्रेस में थीं।