देहरादून। उत्तराखंड के राजनीतिक संकट ने रविवार सुबह उस वक़्त नया मोड़ ले लिया जब महामहिम प्रणव मुखर्जी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की केंद्र की सिफारिश को मंजूर कर लिया। राष्ट्रपति ने विधानसभा को निलंबित कर दिया लेकिन भंग नहीं किया है । इसी के साथ उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया ।
आपकों बता दें कि केंद्र सरकार ने शनिवार रात कैबिनेट की आपात बैठक के बाद राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेजी थी जिसमें विधानसभा को निलंबित कर सूबे में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की गई थी । कांग्रेस ने कहा है कि सरकार का यह फैसला असंवैधानिक है और वह राष्ट्रपति शासन को कोर्ट में चुनौती देगी।
उत्तराखंड के राजनीतिक संकट ने शनिवार देर रात ही तब नया मोड़ ले लिया था जब केंद्र ने इस संबंध में आपात बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद ही राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेज दी गई थी। उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज सुबह संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत इस उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
harish-rawatप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार रात हुई केंद्रीय कैबिनेट की आपात बैठक में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की गई थी। इस बैठक के लिए प्रधानमंत्री अपने असम दौरे को बीच में छोड़कर यहां आए थे। सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कल देर रात राष्ट्रपति को इस बारे में जानकारी दी।
राष्ट्रपति को सौंपे गए भाजपा के ज्ञापन में प्रदेश के राज्यपाल कृष्ण कांत पाल पर भी निशाना साधते हुए कहा गया है कि उन्होंने बहुमत विधायकों द्वारा प्रदेश सरकार को बर्खास्‍त करने के अनुरोध पर कार्रवाई नहीं की और इसके विपरीत रावत को बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का वक्त दे दिया।
कांग्रेस के बागी विधायकों ने आज आरोप लगाया कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से रिश्वत की पेशकश की गई है ताकि वे 28 मार्च को सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान उनका साथ दें। उन्होंने मुख्यमंत्री के ‘स्टिंग ऑपरेशन’ का एक वीडियो भी साझा किया। हालांकि रावत ने उसे फर्जी बताया। विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल की ओर से दल-बदल कानून के तहत कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की चर्चा जोरो पर थी उससे पहले ही सूबे में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। विधानसभा को निलंबित किए जाने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा की बीजेपी लगातार उत्तराखंड में राष्‍ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रही थी । कल भी उन्‍होंने यही धमकी दोहराई। केंद का ये कदम लोकतंत्र की हत्या का है।