निशा शर्मा।

शाहरुख़ खान जिसे दुनिया बॉलीवुड के बाजीगर के नाम से जानती है, आज 51 साल का हो गया है। जिन्दगी में कई उतार चढाव देखने वाले शाहरुख़ खान को अभिनय विरासत में नहीं मिला, लेकिन कहा जाता है ना कि जिस चीज को शिद्दत से चाहो उसे पाने में पूरी कायनात भी आपकी मदद करती है तो ऐसा ही कुछ हुआ शाहरूख खान के साथ भी। इस छरहरे से लड़के ने बॉलीवुड पर राज करने का सपना देखा था जो उसने पूरा किया। दो दशक से शाहरुख़ खान हिन्दी सिनेमा के रूपहले पर्दे पर राज कर रहा है। इस कलाकार ने अभिनय की नींव रंगमंच से रखी, गुरू बने प्रसिद्द रंगमंच निर्देशक बैरी जॉन। जो दिल्ली के थियेटर एक्शन ग्रुप के कर्ता-धर्ता थे। रंगमंच से शुरू हुआ यह सिलसिला धारावाहिकों की तरफ मुड़ा।

शाहरुख़ ने अपना कैरियर दूरदर्शन के धारावाहिक ‘फ़ौजी’ से शुरू किया जिसमें उन्होंने कोमान्डो अभिमन्यु राय का किरदार अदा किया| उसके बाद इल अदाकार को कई धारावाहिकों में अभिनय करने का मौका मिला जिनमे सबसे ज्यादा सराहा गया धारावाहिक सर्कस रहा।

शाहरुख़ को शौहरत तो दिल्ली में ही मिलने शुरू हो गई थी लेकिन माता- पिता के देहांत के बाद शाहरुख़ ने दिल्ली से मुंबई का रूख किया जहां उन्हें फिल्म दिवाना मिली। फिल्म दिवाना शाहरुख़ की जिन्दगी में एक बड़ी तब्दीली लाने वाली हिट साबित हुई।

https://www.youtube.com/watch?v=PdEH7cO7tyk

उसके बाद शाहरुख़ को पहचान दिलाने में कारगार साबित हुई 1993 में आई फिल्म बाजीगर। बाजीगर में एक हत्यारे के किरदार को शाहरुख़ ने बखूबी निभाया और ख्याति पाई। इसी फिल्म ने उन्हे फ़िल्मफ़ेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार भी दिलाया|

इसके बाद इसी साल आई फिल्म डर ने शाहरुख़ की छवि को एक विलेन के तौर पर गढ़ दिया। फिल्म के डॉयलॉग के साथ-साथ शाहरुख़ की अदायगी को लोगों ने खूब पसंद ही नहीं किया बल्कि उसकी मिमिक्री भी की।

1994 का दौर था शाहरुख़ की छवि विलेन के तौर पर गढ़ी जा रही थी ऐसे में फिल्म अंजाम ने दस्तक दी और शाहरुख़ की यह छवि और गहरी होती गई। इस फिल्म में शाहरूख ने एक बार फिर जुनूनी और मनोरोगी आशिक़ की भूमिका निभाई जिसके लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरूस्कार भी दिया गया।

https://www.youtube.com/watch?v=exPM6j0pRjc

लोगों को लगने ही लगा था कि शाहरुख़  खान विलेन की छवि में बंध रहा है ऐसे में 1994 में ही फिल्म आई दिल वाले दुल्हनियां ले जाएंगे लोगों की सोच से आगे निकली जिसमें शाहरुख़ ने जता दिया कि कोई भी उसे एक छवि में नहीं बांध सकता। फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे सुपर- डुपर हिट साबित हुई और यहां से शुरू हुआ विलेन शाहरुख़ के रोमांटिक राज बनने का सफर।

1995 में शाहरुख़ लोगों की नजर से दूर नहीं हुए फिल्म करण- अर्जुन हो या त्रिमूर्ति दोनों फिल्में इनके अभिनय से गुलजार हुई।

https://www.youtube.com/watch?v=AycLcdIeRJw

लेकिन साल 1997 में शाहरुख़ यश चोपड़ा की दिल तो पागल है, सुभाष घई की परदेश और अज़ीज़ मिर्ज़ा की येस बॉस। 1998 में कुछ कुछ होता है, दिल से। 2000 में फिल्म मोहब्बतें, 2001 में फिल्म कभी खुशी कभी गम, 2002 में देवदास, 2003 में कल हो ना हो, 2004 वीर जारा, 2005 पहेली, 2006 में कभी अलविदा ना कहना, डॉन, 2007 ओम शांति ओम, 2008 में रब ने बना दी जोड़ी जैसी फिल्मों से साबित कर दिया कि रोमांस का किंग अब सिर्फ कोई है तो वह सिर्फ शाहरुख खान ही है।

शाहरुख़  की फिल्मों का सिलसिला यहीं नहीं रूका 2010 माय नेम ईंज खान, 2011 में डॉन-2, 2012 में जब तक है जान, 2013 में चेन्नई एक्सप्रेस, 2014 में हैप्पी न्यू ईयर, 2015 में दिलवाले, 2016 में फैन समेत इन फिल्मों ने बॉलीवुड में शाहरुख़ खान के कद को और ऊंचा कर दिया जो आज भी कायम है।

https://www.youtube.com/watch?v=JG23s2ryaWg