मुसलमां और हिन्दू की जान, कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान

यह वीडियो कवि अजमल सुल्तानपुरी का है, अजमल सुल्‍तानपुरी ने दुबई में जाकर हिन्‍दुस्‍तान का झंडा गाड़ने का काम किया था। उन्‍होने दुबई के मुशायरे में अपनी ये रचना सुनाई थी जिसे सुनकर साम्‍प्रदायिक एकता की मिसाल सभी के दिलों में बस गई। इस कविता के बोल हैं…

मुसलमां और हिन्दू की जान कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंड रहा हूँ – मैं उसको ढूंढ रहा हूँ…

मेरे बचपन का हिन्दुस्तान… मेरे बचपन का हिन्दुस्तान
न बंगलादेश न पाकिस्तान
मेरी आशा मेरा अरमान – मेरी आशा मेरा अरमान
वो पूरा-पूरा हिन्दुस्तान
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ – मैं उसको ढूंढ रहा हूँ… (वीडियो देखें)

https://www.youtube.com/watch?v=y9ebpQrHsmg

 

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