सुप्रीम कोर्ट का नोटा पर रोक लगाने से इनकार

अाेपिनियन पाेस्ट 
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर नोटा (NOTA) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई जारी रखगा कि राज्यसभा के चुनाव में NOTA का इस्तेमाल हो सकता है या नहीं। कोर्ट ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में NOTA के इस्तेमाल के खिलाफ गुजरात कांग्रेस की याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस से कई सवाल किए। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में नोटिफिकेशन जारी किया और अब अगस्त 2017 चल रहा है, इस बीच राज्यसभा के चुनाव हुए लेकिन आपने कभी इसे चुनौती नहीं दी? आज आप नोटा को इसलिए चुनौती दे रहे हैं क्योंकि यह आपको सूट नहीं कर रहा। चुनाव आयोग ने 14 जुलाई को चुनाव नोटिफिकेशन जारी किया था तब भी आपने चुनौती नहीं दी। अब चुनाव आ गए हैं तो चुनौती दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस से कहा कि आप राजनीतिक पार्टी हैं और कोई भी विधायक इसे चुनौती दे सकता था। लेकिन आप तब तक इंतजार नहीं कर सकते जब तक आप प्रभावित न हो रहे हों। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नोटा का 2014 का नोटिफिकेशन चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के लिए किया था न कि गुजरात के लिए।
कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि NOTA भ्रष्टाचार की रेसीपी है। गुजरात में अब चुनाव हो रहे हैं तो वो कोर्ट में इसे चुनौती दे रहे हैं।
गुजरात कांग्रेस की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि NOTA का प्रावधान संविधान में नहीं है और न ही कोई कानून ह। यह सिर्फ चुनाव आयोग का सर्कुलर है। ऐसे में NOTA जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 का उल्लंघन करता है।
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट NOTA के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए इसे रद्द करे और असंवैधानिक करार दे। गुजरात मे तीन राज्यसभा सीटों के लिए आठ अगस्त को चुनाव होने हैं। याचिका में चुनाव आयोग, केंद्र सरकार, गुजरात विधानसभा सचिव को पक्षकार बनाया गया है।

कहां फंसा है पेंच
दरअसल, राज्यसभा चुनाव में विधायकों को अपना मतपत्र मतपेटी में डालने से पहले उसे पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना पड़ता है। चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक यदि विधायक पार्टी के निर्देश का उल्लंघन कर किसी अन्य के पक्ष में वोट डालता है या नोटा का इस्तेमाल करता है तो उसे विधायक के रूप में अयोग्य नहीं करार दिया जा सकता। हालांकि, पार्टी उसे निकालने समेत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। यह मतदाता विधायक बना रह सकता है। उसके वोट को पार्टी निर्देशों का पालन नहीं होने के बावजूद अमान्य करार नहीं दिया जा सकता। कांग्रेस को डर है कि उसके विधायका अहमद पटेल को हराने के लिए नोटा का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

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