रंगभेद के खिलाफ खड़ा हुआ “ब्लैक लाइव्स मैटर” आंदोलन

अमेरिका जैसा देश जिसे प्रगतिशील देश माना जाता है रंगभेद को खत्म करने में असफल साबित होता दिख रहा है। अमेरिका में श्वेत पुलिस की बंदूक का शिकार हो रहे अश्वेत समुदाय ने अपने  खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ एकजुट आंदोलन शुरू कर दिया है। इस आंदोलन को ब्लैक लाइव्स मैटर”  यानी अश्वेतों की जिंदगी मायने रखती है नाम दिया गया है। अमेरिका में अश्वेतों पर सब से ज्यादा पुलिस के हमले होते हैं। इस समुदाय के महिला हों या पुरुष हमले होने आम बात हैं। इस आंदोलन की नींव रखी है तीन अफ्रीकन अमेरिकी औरतों ने। ब्लैक लाइव्स मैटर इन का सलोगन है। ट्विटर पर हैशटैग के साथ ब्लैक लाइव्स मैटर ट्रेंड कर रहा है। इसमें सैकड़ों वीडियो अब तक अपलोड किए जा चुके हैं। इन वीडियो में अश्वेत समुदाय के पुरुष और महिलाएं आपबीती बता रही हैं। सलोगन लिखी टी-शर्ट इस आंदोलन से जुड़े लोगों की पहचान बन गई है। दरअसल यह आंदोलन चला था, 2012 में जब सैनफोर्ड, फ्लोडिडा में ट्रेवन मार्टिन नाम के एक अफ्रिकन अमेरिकन व्यस्क को वहां की पुलिस ने मारा था। उसके बाद यह आंदोलन शुरू हुआ। मगर अब यह आंदोलन संगठित आंदोलन बन गया है। रिचमॉन बंच नाम के एक अश्वेत नागरिक वायलन वादक हैं, लेकिन इस आंदोलन से जुड़े हैं। वह अपने वायलन पर इस सलोगन की धुन बजाते हैं। इसके अलावा भी कई और धुनें जो इस हिंसा को दर्शाती हैं बजाकर इस आंदोलन को बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही अलग अलग समुदाय के लोग इससे जुड़कर देशव्यापी नहीं बल्कि इसे विश्वव्यापी आंदोलन बना रहे हैं। इस आंदोलन से जुड़े मलिना अब्दुल्लाह मानते हैं कि नेल्सन मंडेला ही हमारे प्रेरणास्रोत हैं। मंडेला ने श्वेत सरकार को झुकने पर मजबूर किया था। दरअसल,, दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने भी रंगभेद के खिलाफ अभियान चलाया था। 27 साल का कारावास भुगतने के बाद आखिरकार 1990 में श्वेत सरकार को उनकी मांगे माननी पड़ीं। और एक गैर भेदभाव वाले दक्षिण अफ्रिका का जन्म हुआ।

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