नई दिल्‍ली।

पृथ्‍वी के वायुमंडल का घर्षण हमारी कितनी सुरक्षा करता है, इसका एक ताजा उदाहरण सामने आया है। चीन का पहला अंतरिक्ष स्‍टेशन टियांगोंग-1 पृथ्‍वी के वातावरण में प्रवेश करते ही जलकर नष्‍ट हो गया। उसका मलबा दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिर गया।

2011 में इसको चीन ने अंतरिक्ष में भेजा था और 2018 तक इस स्‍पेसलैब को वहां अपने मिशन को पूरा करना था लेकिन दो साल पहले ही 2016 में यह अनियंत्रित हो गया। उसके बाद से ही इसके धरती पर लौटने का इंतजार किया जा रहा था।

चीनी अंतरिक्ष प्राधिकरण ने इसकी पुष्टि कर कहा है कि यह स्टेशन पिछले दो साल से अंतरिक्ष में बेकार घूम रहा था। इस स्टेशन के मलबे के ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक कहीं भी गिरने की आशंका जताई जा रही थी, जिससे निपटने के लिए तैयारी कर ली गई थी।

चीन की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह यान सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर धरती के वायुमंडल में दोबारा प्रवेश किया और इसका अधिकांश हिस्सा जलकर नष्ट हो गया।

इससे पहले प्राधिकरण ने अपनी वेबसाइट में अंतरिक्ष स्टेशन के ब्राजील के रियो डी जनेरियो और साओ पाउलो शहरों के पास दक्षिण प्रशांत तट के ऊपर दोबारा वायुमंडल में प्रवेश करने की उम्मीद जताई थी। अमेरिका वायु सेना के 18वीं अंतरिक्ष नियंत्रण स्क्वाड्रन ने पृथ्वी की कक्षा के सभी कृत्रिम वस्तुओं का पता लगाते हुए कहा कि तियांगोंग-1 ने दक्षिण प्रशांत तट के ऊपर फिर से प्रवेश किया था।

ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन में समकक्षों के साथ समन्वय में उन्होंने भी तियांगोग-1 के फिर से वायुमंडल में प्रवेश की पुष्टि की थी। चीन ने शुक्रवार को अंतरिक्ष स्टेशन के बड़े हिस्से के धरती पर गिरने की आशंका जताई थी। चीन का लक्ष्य 2023 तक इस यान को अंतरिक्ष के कक्षा में स्थायी रूप से स्थापित करना था।

हॉलीवुड फिल्‍मों की तर्ज पर कुछ लोग कयास लगा रहे थे कि 8.5 टन वजनी यह स्‍पेसलैब क्‍या किसी इंसानी इलाके में गिर सकता है?  यदि ऐसा हुआ तो जान-माल का नुकसान होगा? हालांकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पृथ्‍वी के 70 प्रतिशत हिस्‍से पर पानी है जिससे यह महासागर में गिर गया।

बताया जा रहा है कि धरती पर गिरते वक्त अंतरिक्ष स्टेशन बहुत ही तेज गति से बिखरने लगा और चमकीले आग के गोले में तब्दील हो गया। देखने में वह उल्का पिंड जैसा लग रहा था।