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केन और क्राइम के लिए चर्चित पश्चिमी चंपारण में क्राइम पर तो धुंध छाई हुई है, लेकिन गन्ना किसान अपनी समस्याओं से आज भी उबर नहीं सके हैं. यहां ८० प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. गन्ना क्षेत्र की प्रमुख नगदी फसल है, लेकिन घटतौली के अलावा समय पर भुगतान न मिलने से किसान परेशान हैं. सुगौली बाजार में मिले किसान संघ के नेता मोहम्मद कामरान का कहना है कि जिले की इस प्रमुख समस्या पर सभी राजनीतिक दल मौन हैं.

चुनावी दंगल की घंटी बज चुकी है. आगामी12 मई को छठवें चरण में होने वाले मतदान को लेकर पश्चिमी चंपारण की उर्वर सियासी जमीन पर पटकथा तैयार है. भाजपा के निवर्तमान सांसद डॉ. संजय जायसवाल का दावा है कि अगली सरकार भी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनेगी. वहीं उनके विरोधियों ने वादे पूरे न करने का आरोप लगाकर उन्हें निशाना बना रखा है. विपक्ष भाजपा के भितरघातियों को भी साधने का प्रयास कर रहा है. पश्चिमी चंपारण संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आने वाले आधा दर्जन विधानसभा क्षेत्रों चनपटिया, रक्सौल, नौतन एवं सुगौली से भाजपा, तो बेतिया से कांग्रेस और नरकटिया से राजद के विधायक प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. बरवा चाप निवासी नवल चौबे का कहना है कि पिछले तीन संसदीय चुनावों में बॉलीवुड के चर्चित फिल्म निर्माता प्रकाश झा भाजपा को चुनौती देते रहे हैं, लेकिन इस बार वह पूरी तरह चुनाव से गायब हैं. हां, देश के प्रमुख टीवी चैनलों एवं मीडिया हाउसों की दिलचस्पी जरूर दिखाई दे रही है. पारिवारिक राजनीतिक विरासत का ध्वज थामे डॉ. संजय जायसवाल के सामने जीत की हैट्रिक बनाने की कड़ी चुनौती है. उनके पिता स्वर्गीय मदन प्रसाद जायसवाल ने 1996, 98 एवं 99 में चुनाव जीतकर क्षेत्र को भगवामय कर दिया था.

संजय ने भी 2009 एवं 2014 में प्रकाश झा को शिकस्त देकर ‘कमल’ मुरझाने नहीं दिया, लेकिन इस बार उनके सामने रालोसपा के ब्रजेश कुशवाहा एवं पूर्व विधायक राजन तिवारी हैं. हालांकि, इन दोनों को टिकट के लिए अंतिम समय में पाला बदलना पड़ा. ब्रजेश कुशवाहा जदयू के जिला उद्योग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष थे, वहीं राजन तिवारी राजद के टिकट के लिए प्रयासरत थे. राजद के संविधान बचाओ अभियान के दौरान पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बेतिया में आयोजित सभा में तिवारी ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन महागठबंधन का टिकट लेने मेें सफलता नहीं मिली, तो लालू-राबड़ी मोर्चा के साथ बसपा के समर्थन का दावा पेश कर मैदान में उतर गए. राजन तिवारी इस क्षेत्र से 2004 में भी जोर-आजमाइश कर चुके हैं. इस बार वह सामाजिक-जातीय समीकरण साधते हुए कड़ी चुनौती पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि ब्रजेश कुशवाहा महागठबंधन के परंपरागत वोट बैंक के अलावा स्वजातीय वोटों पर भी नजर जमाए हुए हैं. इसलिए यहां लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है.

केन और क्राइम के लिए चर्चित पश्चिमी चंपारण में क्राइम पर तो धुंध छाई हुई है, लेकिन गन्ना किसान अपनी समस्याओं से आज भी उबर नहीं सके हैं. यहां ८० प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है. गन्ना क्षेत्र की प्रमुख नगदी फसल है, लेकिन घटतौली के अलावा समय पर भुगतान न मिलने से किसान परेशान हैं. सुगौली बाजार में मिले किसान संघ के नेता मोहम्मद कामरान का कहना है कि जिले की इस प्रमुख समस्या पर सभी राजनीतिक दल मौन हैं. गोनौली गांव की एक चौपाल में बैठे सुरेश प्रसाद ने बहुत कुरेदने पर कहा, हमनी सब बढिय़ा उम्मीदवार के ही वोट देहम. छपवा से रक्सौल तक की सडक़ें दुरुस्त जरूर हुई हैं. गांवों में बिजली, पानी एवं पटवन आदि सुविधाएं भी दिख रही हैं, लेकिन इतना भर पर्याप्त नहीं है. रामगढ़वा निवासी अजय सिंह इलाके में आने वाली बाढ़ का स्थायी निदान चाहते हैं. वहीं राम प्रसाद यादव किसानों को फसल का वाजिब दाम न मिलने के चलते सरकार से खफा दिखे.