नई दिल्‍ली। लोग यह मान बैठे थे कि मशहूर क्रिकेटर, कमेंटेटर, हास्‍य कलाकार और सफल राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू के आम आदमी पार्टी ‘आप’ में पहुंचने से अरविंद केजरीवाल की यह टेंशन दूर हो जाएगी कि पंजाब में पार्टी के लिए सीएम पद का उम्‍मीदवार किसे बनाना है, लेकिन पता चला है कि वह पार्टी की ओर से पंजाब में सीएम पद के उम्मीदवार नहीं होंगे। इसलिए यह सवाल उठना स्‍वाभाविक है कि आखिर सिद्धू  ‘आप’ में क्‍या करेंगे। सिद्धू अपनी पत्‍नी अमृतसर-ईस्ट से भाजपा विधायक नवजोत कौर सिद्धू के साथ भाजपा छोड़ आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। उन्‍होंने 18 जुलाई को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। भाजपा सूत्रों ने सिद्धू के पार्टी छोड़ने की पुष्टि भी कर दी है। इसी साल 28 अप्रैल को सिद्धू ने राज्यसभा में मनोनीत सदस्य के रूप में पंजाबी में शपथ ली थी। वहीं संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन उच्च सदन की कार्यवाही के दौरान उन्होंने इस्तीफा दिया।

लोकसभा चुनाव के वक्त चर्चा थी कि टिकट न मिलने से नाराज चल रहे सिद्धू आम आदमी पार्टी के संपर्क में हैं। सिद्धू को ‘एंटी बादल’ नेता माना जाता है। अकाली दल से सिद्धू की तकरार हरियाणा चुनावों के दौरान भी दिखी थी। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि ‘सिद्धू का पार्टी में स्वागत है।’ पंजाब में उनकी लोकप्रियता के बारे में राजनीतिक दलों को पता है। उधर, पार्टी के राष्ट्रीय नेता संजय सिंह और पंजाब संयोजक सुच्चा सिंह ने सिद्धू दंपति का स्वागत किया है।

बता दें कि 2004 से 2014 तक लगातार अमृतसर सीट से सांसद रहे सिद्धू पार्टी में नजरअंदाज किए जाने से दुखी थे। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के आने के बाद उनका कद लगातार घटता गया। अमृतसर सीट से लोकसभा सांसद सिद्धू का टिकट 2014 के आम चुनाव में काट दिया गया था। उनके बदले उस सीट से पार्टी के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली चुनाव लड़े थे और हार गए थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पहले इस बात के संकेत दिए थे कि सिद्धू को पंजाब भाजपा में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है, लेकिन सिद्धू को राज्य में अहम जिम्मेदारी सौंपकर वह अकाली दल से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते थे। इसलिए उन्हें बाद में राज्यसभा में मनोनीत कर दिया गया। सिद्धू को भाजपा से साइडलाइन किए जाने का असर उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू की बातों पर भी साफ दिखा था। उन्होंने एक कार्यक्रम में यहां तक कहा था कि अगर 2017 में होने वाले चुनावों में भाजपा-अकाली दल का गठबंधन रहा तो लोग आम आदमी पार्टी को वोट देंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा और अकाली दल के एक साथ चुनाव प्रचार करने का कोई तुक नहीं है। पहली बार इंसान गलती कर लेता है,  हमें पता है कि हम गलती नहीं दोहराएंगे।