नई दिल्ली। जानी मानी लेखिका शोभा डे ने रियो गए एथलीटों पर विवादित बयान दे कर मुसीबत मोल ले ली है। अब ट्वीटर पर सक्रिय तमाम लोगों ने उन्हें घेर लिया है और ऐसा लग रहा है जैसे ट्वीट मुकाबले शुरू हो गए हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘ओलिंपिक में टीम इंडिया का गोल-रियो जाओ। सेल्फी लो और खाली हाथ वापस आओ। पैसे और मौके की बर्बादी।’ इस ट्वीट के बाद शोभा डे पर इंडियन स्पोर्ट्स स्टार्स सहित स्पोर्ट्स फैन्स ने भी निशाना साधा। सबसे पहले शूटर अभिनव बिंद्रा ने ट्वीट किया, ‘ये ठीक नहीं। आपको अपने देश के एथलीटों पर गर्व होना चाहिए।’ शोभा पर बैडमिंटन स्टार ज्वाला गुट्टा ने कमेंट किया, ‘जब आप जैसे लोगों का एटिट्यूड बदल जाएगा तो ये स्थिति भी बदल सकती है।’ एक यूजर ने तो शोभा डे की ही तर्ज पर ट्वीट किया, ‘ट्विटर पर शोभा डे का गोल-ऑनलाइन आओ, बिना मतलब की बात करो। गाली खाओ और वापस जाओ।’ एक और यूजर ने ट्वीट किया कि शोभा डे ने खुद कभी स्कूल में भी कोई मेडल नहीं जीता।
यही नहीं, शोभा डे के विवादित ट्वीट पर घमासान छिड़ गया है। गायक अभिजीत ने शोभा डे को जवाब देने के लिए काफी अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल किया। शोभा डे को अभिजीत के अभद्र शब्दों पर अभिनेत्री सोनम कपूर ने ट्विटर के जरिए जवाब दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि आप दोहरे चरित्र के इंसान हैं। सोनम के इस वार से अभिजीत तिलमिला गए। उन्होंने सोनम को जवाब देने के लिए उनके फिल्मी खानदान से जुड़े होने पर वार किया। उन्होंने ट्वीट किया, हम दोहरे चरित्र के हैं, लेकिन फिल्मी खानदान वालों की तरह दोहरे चरित्र के लोग नहीं हैं, हमें अपने खिलाड़ियों पर गर्व है।
शोभा डे ने अपने ट्वीट में जो धन की बर्बादी की चर्चा की है, उस पर वरिष्ठ पत्रकार निर्मलेंदु ने तो पूरा आलेख लिख दिया है। उन्हीं के शब्दों में-लेखिका शोभा डे की इस तरह की टिप्पणी से इस बात का अहसास हो जाता है कि वह दूसरों का सम्मान करना नहीं जानतीं। और मुझे लगता है कि जो दूसरों का सम्मान नहीं करना जानतीं, वह अपना भी सम्मान नहीं कर पातीं। एयरकंडीशन कमरे में बैठकर लिखना बहुत आसान काम है, लेकिन फील्ड में जाकर काम करना, श्रम करना कितना मुश्किल काम है, यह तो कोई लेबर श्रेणी का इंसान ही कह सकता है। एथलीट बनना और उसके बाद फील्ड में जाकर प्रदर्शन करना मैं समझता हूं कि बड़ा ही कठिन काम है। अभी आपने पढ़ा होगा कि दीपा कर्मकार ने रियो ओलंपिक में जिम्नास्टिक में इतिहास रच दिया। वह वॉल्ट के फाइनल में पहुंच गईं। मेहनत की, तभी तो पहुंचीं न? हम आपको बता दें कि दीपा करमाकर ने जब पहली बार किसी जिमनास्टिक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, तब उनके पास जूते भी नहीं थे। प्रतियोगिता के लिए कॉस्ट्यूम भी उन्होंने किसी से उधार मांगा था, जो उन पर पूरी तरह से फिट भी नहीं हो रहा था। तमाम संघर्षों और आर्थिक तंगी का सामना करने के बाद दीपा करमाकर इतिहास रचने से मात्र एक कदम दूर हैं।
ऐसे में आप इस तरह का ट्वीट करके क्या साबित करना चाहती हैं? धन और अवसर की बर्बादी के बारे में आपने लिखा है। क्या आप जानती हैं कि धन की बर्बादी कैसे होती है। धन की बर्बादी पढ़े-लिखे लोग फाइव स्टार होटलों में करते हैं। यह माना कि कलम की ताकत होती है, लेकिन चूंकि आप लिख सकती हैं, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि आप किसी के बारे में कुछ भी लिख दें। ओलंपिक में अपना प्रदर्शन दिखाने के लिए वे भारतीय खिलाड़ी जिस तरह से मेहनत कर रहे हैं, वह जब तक आप खुद अपनी आंखों से नहीं देख लेतीं, तब तक आपको इस बात का अहसास ही नहीं होगा कि आपने क्या कहा? हमें समझ में नहीं आता कि इस तरह की सस्ती पब्लिसिटी पाने के लिए आप जैसी समझदार लेखिका क्यों ट्वीट का सहारा लेती हैं? अभिव्यक्ति की आजादी है, लिखने की आजादी है, बोलने की आजादी है, लेकिन हम कब कहां, कितना बोलें, कहां सेंसर करें, कहां आक्रामक हों, इस बात की जानकारी हमें अच्छी तरह से होनी चाहिए। हम कुछ भी लिखें इस बात की आजादी नहीं है।