सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फिर पढ़ाया लोकतंत्र का पाठ, अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बहाल

नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 13 जुलाई को एक अहम फैसला सुना कर उसने केंद्र की भाजपा सरकार को बड़ा झटका दिया है। अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बहाल कर दी गई है और राष्ट्रपति शासन को रद्द कर दिया गया है। नबाम तुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार इस फैसले पर बहुत खुश है। तुकी ने कहा- कोर्ट में हम लोगों की जीत हुई है। 26 जनवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था। इसी साल मई महीने में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में भी केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए राष्ट्रपति शासन को हटा दिया था। अब आम आदमी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों को केंद्र सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल गया है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला तानाशाह मोदी सरकार पर एक और तमाचा है। उम्मीद है कि मोदी जी इससे कुछ सीखेंगे और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों को काम करनें देंगे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया, प्रधानमंत्री को समझा दिया कि लोकतंत्र क्या होता है…”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम घड़ी की सुइयां वापस कर सकते हैं। कोर्ट ने राज्य में 15 दिसंबर 2015 वाली स्थिति बरकार रखने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्वनर को विधानसभा बुलाने का अधिकार नहीं था। यह गैरकानूनी था। 15 दिसंबर 2015 के बाद से सारे एक्शन रद्द कर दिए गए हैं। हालांकि जस्टिस जे एस खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस मदन लोकुर ने अलग अलग फैसले सुनाए। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह संज्ञान लेकर विधानसभा का सत्र बुला सकता है या नहीं। यह पूछे जाने पर कि विधायकों की शिकायत थी कि राहुल गांधी मुलाकात का वक्त नहीं देते और वे अलग थलग महसूस करते हैं, नबाम तुकी ने कहा- राहुल गांधी जनता के नेता हैं और वह उनसे भी मिले थे।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर व्यापक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘मोदी का न तो संविधान में विश्वास है और न जनादेश पर, वह तो इस देश को सिर्फ तानाशाही रवैये से चलाना चाहते हैं।’ आप नेता आशुतोष ने इस फैसले के तुरंत बाद ट्वीट करके कहा, ‘एक तानाशाह की हार, लोकतंत्र की जीत, अब दिल्ली के एलजी को यह समझ लेना चाहिए कि वह संविधान के प्रति जवाबदेह है न कि किसी तानाशाह के प्रति।’ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। ट्वीट कर उन्होंने कहा, ‘मोदी जी! अब तो लोकतंत्र का सम्मान करना सीखिए। किसी राज्य के लोग अगर दूसरी पार्टी की सरकार चुन लेते हैं तो उन्हें सज़ा देना बंद कीजिए।’ अरुणाचल प्रदेश के सीएम नबाम तुकी ने इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए ट्वीटर पर लिखा, “यह लोकतंत्र की जीत है… उन्होंने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई एक सरकार को गिराया था… कानून ने हमें और देश को बचा लिया है…” उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का हार्दिक आभार… न्यायपालिका ने जनता के मन में लोकतंत्र के प्रति विश्वास को बहाल किया…”

क्या था पूरा मामला?

दरअसल अरुणाचल प्रदेश के स्पीकर नबम रेबिया ने सुप्रीम कोर्ट में ईटानगर हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें 9 दिसंबर को राज्यपाल जेपी राजखोआ के विधानसभा के सत्र को एक महीने पहले 16 दिसंबर को ही बुलाने के फैसले को सही ठहराया था। इसके बाद 26 जनवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और कांग्रेस की नबाम तुकी वाली सरकार परेशानी में आ गई क्योंकि 21 विधायक बागी हो गए। इससे कांग्रेस के 47 में से 26 विधायक रह गए। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को दूसरी सरकार बनने से रोकने की तुकी की याचिका नामंजूर कर दी। 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही बागी हुए कालीखो ने 20 बागी विधायकों और 11 भाजपा विधायकों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली और सरकार बना ली थी।

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