संघ की व्‍याख्‍यानमाला का विरोध क्‍यों

ओपिनियन पोस्‍ट।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला नई दिल्‍ली स्थित विज्ञान भवन में आज शुरू हो गई, जिसका शीर्षक है-‘भविष्य का भारत : आरएसएस का दृष्टिकोण’। कार्यक्रम में 40 दलों को आमंत्रित किया गया है, लेकिन कुछ नेता आमंत्रण को ठुकरा भी रहे हैं, वहीं राहुल गांधी को न बुलाए जाने को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

उधर, कार्यक्रम में धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां,  उद्योगपति और विभिन्न देशों के राजनयिकों के शामिल होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि व्याख्यानमाला के केंद्र में हिंदुत्व होगा, जिसमें करीब 700-750 मेहमान आ सकते हैं। इनमें से 90 फीसदी लोग संघ से नहीं हैं। मोहन भागवत शुरुआती दो दिन कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। आखिरी दिन वह जनता के सवालों का जवाब देंगे।

सीपीएम ने कहा कि येचुरी यात्रा पर हैं और आरएसएस की तरफ से कोई आमंत्रण भी नहीं आया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी आमंत्रण भेजने को लेकर फर्जी खबर फैला रहे हैं। उनके अंतर्निहित घृणा के एजेंडे से सभी लोग वाकिफ हैं।

कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को आमंत्रित किया गया है, लेकिन उन्‍होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में जाने से इन्कार कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम में जाने के लिए मेरे पास साहस नहीं है। मैं आरएसएस के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानता, लेकिन इतना पढ़ा है कि सरदार पटेल ने इन पर बैन क्यों लगाया था।

बताया जाता है कि संघ ने देशभर से तीन हजार लोगों को आमंत्रित किया है, जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े,  अखिलेश यादव,  मायावती,  ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू भी शामिल हैं। इस कार्यक्रम में राजनेता के साथ सामाजिक व धार्मिक समूह के साथ अल्पसंख्यक नेता, कई रिटायर्ड कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सभी से संवाद करेंगे।

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