चंडीगढ़। पंजाब की सियासत में एक नई एंट्री हुई है। राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद क्रिकेटर कम राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू किस पार्टी से जुड़ेंगे, इस संदर्भ में अटकलों पर आखिरकार विराम लग गया है। नवजोत पंजाब में नए राजनीतिक फ्रंट आवाज-ए-पंजाब का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह के साथ मिलकर ‘आवाज-ए-पंजाब’ नाम से एक नया फ्रंट बनाया है। सिद्धू के इस मास्टर स्ट्रोक से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को झटका लगा है। सिद्धू के इन दोनों पार्टियों में जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन कुछ मुद्दों पर बात नहीं बन पाई थी।
परगट सिंह ने शुक्रवार को फेसबुक पर एक पोस्टर डाल कर इस नए मोर्चे का ऐलान किया। इस पोस्टर में परगट सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू के साथ बैंस भाई भी नजर आ रहे हैं। पंजाब में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।
फ्रंट आवाज-ए-पंजाब का गठन 9 सितंबर को होगा। इसका बड़ा पोस्टर फेसबुक पर सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने भी शेयर किया है। नवजोत कौर पंजाब विधानसभा में भाजपा विधायक हैं। शुक्रवार को शेयर किए गए इस पोस्टर में सिद्धू को पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह और लुधियाना से निर्दलीय विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के साथ दिखाया गया है। बैंस ने बताया कि नवजोत सिंह सिद्धू संभवत: नए फ्रंट की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा, हम गैर अकाली, गैर कांग्रेस और गैर आप, राजनीतिक फ्रंट के गठन के लिए अपने जैसा खुला दिमाग रखने वाले सभी लोगों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब के लोगों के लिए विकल्प उपलब्ध कराने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी को उसके अपने ही लोगों ने बेनकाब कर दिया है। पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह ने भी फेसबुक पर इस पोस्टर को शेयर किया है।
नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले वह अमृतसर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। कुछ समय से नवजोत के भाजपा के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी। दरअसल, प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के खिलाफ सिद्धू बेहद मुखर थे और इस सरकार में सहयोगी अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे थे। 2014 के आम चुनाव में जब अमृतसर सीट से सिद्धू की जगह अरुण जेटली को टिकट दिया गया तो इन रिश्तों की खटास और बढ़ी। ऐसे में स्वाभाविक है कि जेटली के चुनाव हारने पर आरोपों के कुछ ‘छीटें’ सिद्धू पर भी आए।
पंजाब में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा आलाकमान ने सिद्धू को राज्यसभा सदस्यता देकर संतुष्ट करने का प्रयास किया था, लेकिन सिद्धू तो सिद्धू ठहरे। राज्यसभा से इस्तीफा देकर उन्होंने बड़ा धमाका कर डाला था। बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा था, ‘मैंने इस्तीफा दिया क्योंकि मुझसे कहा गया कि पंजाब की तरफ मुंह नहीं करोगे। आखिर मैं अपनी जड़, अपना वतन कैसे छोड़ दूं।’
भाजपा नेतृत्व पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा था कि चार चुनाव जीतने के बाद राज्यसभा सीट देकर कहा जाता है कि सिद्धू पंजाब से दूर रहो, लेकिन पंछी भी शाम को घोसले में लौटता है। राष्ट्रभक्त पक्षी भी अपने पेड़ नहीं छोड़ते। दुनिया की कोई भी पार्टी पंजाब से ऊपर नहीं है और कोई भी नफा-नुकसान हो उसे झेलने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू तैयार है। भाजपा से दूरी बनाने के बाद सिद्धू के आम आदमी पार्टी अथवा कांग्रेस पार्टी से जुड़ने की चर्चा भी थी, लेकिन सूत्रों के अनुसार, कुछ मुद्दों पर बात अटकने के कारण ऐसा नहीं हो सका।