चेन्नई।

तमिलनाडु की ईके पलानीस्वामी सरकार ने शनिवार को राज्य विधानसभा में जोरदार हंगामे के बीच 122-11 के अंतर से विश्वास मत जीत लिया। पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम सिर्फ 11 विधायकों के मत जुटा सके। पलानीस्वामी के बहुमत साबित करने के बाद राज्य में राजनीतिक गतिरोध खत्म होने के आसार हैं। गतिरोध की शुरुआत पनीरसेल्वम की बगावत और अन्नाद्रमुक की अंतरिम महासचिव वीके शशिकला को पार्टी विधायक दल की नेता चुने जाने के बाद उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषी ठहराने के बाद हुई थी।

शशिकला के वफादार माने जाने वाले पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री नियुक्त करते हुए राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया था। द्रमुक विधायकों की ओर से हमले के आरोप लगाए जाने और हंगामे के कारण सदन को दो बार स्थगित करना पड़ा। बाद में फिर कार्यवाही शुरू होने पर विधायकों ने मतदान किया।

पलानीस्वामी ने कहा कि विधानसभा में उनकी सरकार के विश्वास मत जीतने के साथ ही अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला की ओर से किया गया प्रण पूरा हुआ।

एमजीआर स्मारक में पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से लगाए जा रहे ‘चिन्नम्मा जिंदाबाद’ के नारों के बीच पलानीस्वामी ने कहा, ‘हमारी पार्टी की महासचिव वीके शशिकला की ओर से किया गया प्रण पूरा हुआ।’ वह शशिकला के पहले के उस बयान की ओर इशारा कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि जयललिता की सरकार राज्य में जारी रहेगी।

अपने मंत्रियों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ पलानीस्वामी ने पार्टी संस्थापक एमजी रामचंद्रन और दिवंगत जयललिता के स्मारकों पर पुष्पांजलि अर्पित की।

विधानसभा के स्पीकर पी धनपाल और नेता प्रतिपक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि सदन में हंगामे के दौरान उनकी कमीजें फाड़ दी गईं। राज्यपाल से मुलाकात कर उनसे इन घटनाओं की शिकायत करने के लिए लिए स्टालिन तुरंत राजभवन रवाना हुए। शशिकला समर्थक सरकार के लिए बहुमत साबित करना करो या मरो जैसा मामला था। लिहाजा, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए विधानसभा के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।

जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो स्पीकर धनपाल ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।

विधानसभा में उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली जब विपक्षी विधायक गुप्त मतदान कराने की मांग पर अड़ गए। उन्होंने यह मांग भी की कि मतदान से पहले विधायकों को उनके विधानसभा क्षेत्रों में जाने दिया जाए ताकि वे लोगों से मिल सकें।

बहरहाल, स्पीकर ने इन मांगों को नामंजूर कर दिया। दोपहर तीन बजे जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो विश्वास मत पर मतदान कराया गया। बहुमत होने का दावा कर रहे पनीरसेल्वम इस महीने दो बार राज्यपाल से मिल चुके हैं। पनीरसेल्वम ने दावा किया था कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया।