नई दिल्ली। भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा है कि भारत-अमेरिका के बीच के संबंध सिर्फ इन दोनों देशों के लिए नहीं बल्कि सारी दुनिया के लिए अहम हैं।पाकिस्तान को आतंक से निपटने का पाठ पढ़ाते हुए उन्होंने साफ किया कि अमेरिका आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ है। कोई भी देश अकेले आतंकवाद का सफाया नहीं कर सकता बल्कि इससे एकजुट होकर ही निपटा जा सकता है। कैरी ने पाक को दो-टूक शब्दों में कहा कि वह आतंक के खिलाफ कदम उठाए। उसे अपनी सीमा के अंदर पनप रहे आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगले महीने न्यूयॉर्क में होने वाली अमेरिका, भारत और अफगानिस्तान की बैठक से पाक खुद को अलग-थलग न समझे।

दोनों देश आतंकवाद का दर्द जानते हैं
केरी ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ही आतंकवाद के दर्द जानते हैं। हमारे सामने सुरक्षा का मुद्दा सबसे बड़ी चुनौती है। हमें हिंसा करने वाले के केंद्र पर हमला करना होगा। केरी ने कहा कि जब दुनिया में कुछ देश विवादों को सुलझाने के लिए ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसे में भारत और अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया है। अमेरिका और भारत को लोकतंत्र के सिद्धांतों पर यकीन कायम रखना होगा और हमें शांतिप्रिय विरोध प्रकट करने की इजाजत देनी होगी।

उन्होंने कहा कि भारत ने बांग्लादेश के साथ अपनी समुद्री सीमा पर अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फैसले को जिस प्रकार से स्वीकार किया वह अपने आप में अनूठा है। इस प्रकार की नीति कानून के राज का समर्थन करती है और हमें एक-दूसरे के करीब लाती है। मेरी राय में इससे एक-दूसरे पर विश्वास पैदा होता है और एक जिम्मेदारी की भावना झलकती है। उन्होंने कहा कि यह एक रास्ता दिखाता है कि किस प्रकार विवादित मुद्दों को निपटाया जा सकता है। इसमें दक्षिण चीन सागर का मुद्दा भी शामिल है। इस मामले में अमेरिका चीन और फिलीपीन्स से अपील करता है कि वह दोनों अंतरराष्ट्रीय पंचाट के आदेश का सम्मान करें।

आईआईटी दिल्‍ली के छात्रों को संबोधित करते हुए केरी ने कहा कि ध्रुवीकरण कहीं भी हो, अच्छा नहीं होता है। यह असहिष्णुता और शासन के प्रति हताशा को दर्शाता है। जाति और नस्ल का भेदभाव किए बिना हमें सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना होगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के बारे में पूछे जाने पर केरी ने कहा कि इसके लिए मार्ग है लेकिन जटिल है।

उन्‍होंने कहा कि भारत आज एक स्‍थापित शक्ति है। राष्‍ट्रपति ओबामा और पीएम मोदी के बीच बेहतर आपसी निजी रिश्‍ता स्‍थापित हुआ है। यह साझा उद्देश्‍य और विजन पर आधारित है। ओबामा और मोदी के बीच बेहतर एवं मजबूत समझ विकसित हुआ है और हम पीएम मोदी की ओर से उठाए जा रहे कदमों को लेकर उत्‍साहित हैं। उन्होंने कहा कि असंभव को संभव करना भारत और अमेरिका के इतिहास की खुबसूरती है।

भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों से चीन को डरने की जरूरत नहीं

इस बीच ओबामा प्रशासन साफ किया है कि अमेरिका और भारत के बीच साजो-सामान से जुड़ा सैन्य समझौता होने से चीन को डरने की जरूरत नहीं है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने मंगलवार को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘स्पष्ट तरीके से कहूं तो भारत के साथ एक गहरे, मजबूत, ज्यादा सहयोगी द्विपक्षीय संबंध से किसी अन्य को डरने या इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है’। किर्बी दरअसल भारत और अमेरिका के बीच हुए रक्षा समझौते पर चीन की प्रतिक्रिया से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे। यह समझौता इन दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत एवं आपूर्ति के लिए एक दूसरे की संपत्ति एवं अड्डे इस्तेमाल करने की इजाजत देता है।

किर्बी ने कहा, ‘हम दोनों ही लोकतांत्रिक देश हैं। वैश्विक मंच पर हम दोनों के ही पास अदभुत अवसर हैं और हमारा अदभुत प्रभाव है। अमेरिका और भारत के बीच बेहतर संबंध होना न सिर्फ दोनों देशों के लिए, न सिर्फ क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए अच्छा है’। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘अमेरिका और भारत के बीच पहले से ही कई क्षेत्रों में शानदार साझेदारी है। यह सिर्फ रक्षा या सुरक्षा से जुड़ा नहीं है। यह आर्थिक, व्यापार एवं सूचना और प्रौद्योगिकी साझा करने के बारे में भी है’।