फिल्म पद्मावत के लिए अच्छी खबर है, फिल्म पर लगे राज्यों के बैन को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। फिल्म पर चार राज्यों में बैन के खिलाफ कोर्ट में बहस हुई जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चार राज्यों में बैन को असंवैधानिक करार दे दिया। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने निर्माताओं का पक्ष रखा। साल्वे ने कहा, सेंसर बोर्ड की ओर से पूरे देश में फ़िल्म के प्रदर्शन के लिए सर्टिफिकेट मिला है। ऐसे में राज्यों का प्रतिबंध असंवैधानिक है। उसे हटाया जाए।इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने आपात बैठक बुलाई है। जिसमें पद्मावत पर सरकार के आगले कदम पर विचार किया जाएगा।

गुरुवार को चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया की बेंच ने कहा, राज्यों में क़ानून व्यवस्था बनाना राज्यों की जिम्मेदारी है। यह राज्यों का संवैधानिक दायित्व है। संविधान की आर्टिकल 21 के तहत लोगों को जीवन जीने और स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। बेंच ने राज्यों के नोटिफिकेशन को गलत बताया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस नोटिफिकेशन से आर्टिकल 21 के तहत मिलने वाले अधिकारों का हनन होता है। यह राज्यों का दायित्व है कि वह क़ानून व्यवस्था बनाए। राज्यों की यह भी जिम्मेदारी है कि फिल्म देखने जाने वाले लोगों को सुरक्षित माहौल मिले। इससे पहले अटार्नी जनरल ने राज्यों का पक्ष रखने के लिए सोमवार का वक्त मांगा। लेकिन कोर्ट ने पहले ही फैसला दे दिया।

पद्मावत के निर्माता देशभर के सिनेमाघरों में 24 जनवरी को इसका पेड प्रीव्यू रखेंगे। ‘पद्मावत’ के डिस्ट्रीब्यूटर्स 24 जनवरी की रात 9:30 बजे स्क्रीन होने वाले शोज का भुगतान करके उसकी जगह ‘पद्मावत’ को स्क्रीन करेंगे। फिल्म एक्सपर्ट की राय में ऐसा करने से ‘पद्मावत’ के मेकर्स को फिल्म को लेकर चल रही अफवाह को गलत साबित करने का मौका मिलेगा। साथ ही, फिल्म देखने के बाद लोगों की पॉजिटिव रिस्पोंस फिल्म के लिए फायदेमंद होगा।