अभिषेक रंजन सिंह, नई दिल्ली।

अगर सब कुछ ठीक रहा तो देश में जल्द ही दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को मंजूरी मिल सकती है। केंद्र सरकार इस फैसले पर गंभीरता से विचार कर रही है। खबरों के मुताबिक सरकार दवा बिक्री नियमन के मसौदे में इस बाबत कई प्रावधान शामिल किए हैं। हालांकि, दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर ठोस निगरानी की व्यवस्था करने की बात की गई है। इसके अलावा भी तय किया गया है कि ई-फार्मेसी कंपनी जिस भी राज्य में बिक्री करना चाहेगी, उसमें उसे अपना कार्यालय खोलना होगा और साथ ही अलग से अनुमति लेनी होगी।
गौरतलब है कि मौजूदा कानूनों के तहत दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को इजाजत नहीं है। इसके बावजूद यह कारोबार काफी तेजी से बढ़ रहा है और छोटे और मंझोले शहरों में भी लोकप्रिय हो रहा है। ऐसे में जल्दी ही औषधि और सौंदर्य प्रसाधन कानून के तहत नियमों में बदलाव कर इसको इजाजत देने की तैयारी की जा रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित प्रावधान में कहा गया है कि दवा कारोबार की निगरानी के लिए बनाई जा रही नई व्यवस्था में ऑनलाइन दवा कारोबार को भी शामिल किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि जब तक सभी लाइसेंसिंग ऑथरिटी की सीमा में एक कार्यालय के रूप में भौतिक उपस्थिति नहीं होगी, ई-फार्मेसी को उस इलाके में बिक्री की इजाजत नहीं दी जा सकेगी। दवा बिक्री का लाइसेंस राज्य सरकार देती है। ऐसे में इस कारोबार में उतरने वाली कंपनी को हर राज्य में अलग से इजाजत लेनी होगी और साथ ही वहां अपना कार्यालय भी खोलना होगा।
मंत्रालय ने देश भर में किसी भी तरीके से बिकने वाली दवाओं की निगरानी के लिए एक ई-प्लेटफार्म तैयार करने का प्रस्ताव भी किया है, जिस पर सभी विक्रेताओं और निर्माताओं को पूरी सूचना ऑनलाइन जमा करनी होगी। 15 अप्रैल तक इस मसौदे पर लोगों के सुझाव मांगे गए हैं, इसके तुरंत बाद मंत्रालय इसे अंतिम रूप दे देगा। हालांकि, सरकार के इस फैसले का विरोध दवा विक्रेता कर सकते हैं। उनकी दलील है कि ऑन लाइन दवाओं की बिक्री की मंजूरी से उनके कारोबार पर बुरा असर पड़ेगा।