नई दिल्ली। एक तो तितलौकी, दूसरे चढ़ी नीम की डार। यह कहावत उत्‍तर कोरिया के पांचवें परमाणु परीक्षण के संदर्भ में हो रही चर्चा पर सटीक बैठती है। अपने हथियारों के परीक्षणों से उत्‍तर कोरिया ने दुनिया के तमाम शक्तिशाली देशों को भी चिंता में डाल दिया है। दरअसल, उत्‍तर कोरिया और पाकिस्‍तान के पास महाविनाशक हथियार हैं। अपनी आतंकवादी सोच के कारण ये दोनों देश मानवता के लिए खतरा बने हुए हैं। चीन ने इन दोनों देशों को शह दे रखी है। यह अलग बात है कि उत्‍तर कोरिया के ताजा परमाणु परीक्षण की चर्चा ने चीन की भी नींद हराम कर दी है। अब चुनौती यह है कि कैसे इनकी सोच को बदला जाए या इनके हथियारों की क्षमता को नष्‍ट किया जाए। अमेरिका की मानें, तो वह पूरे मामले पर नज़र रख रहा है, लेकिन अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव की वजह से उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ कोई साझा क़दम उठाने में दिक्क़त आ सकती है।  

उत्तर कोरिया का कहना है कि उसने अपना पांचवां सफ़ल परमाणु परीक्षण किया है। इससे पहले परमाणु परीक्षण स्थल के नजदीक भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसके कुछ घंटों बाद सरकारी परीक्षण की जानकारी दी। दक्षिण कोरिया का मानना है कि यह उत्तर कोरिया का अब तक का ‘सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण’  है। उसने उत्तर कोरिया के इस कदम पर चिंता व्यक्त की है। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति पार्क ग्वेन-ही ने इसे ‘आत्म-विनाश’  वाला क़दम बताया और कहा कि इससे नेता किम जोंग-उन की सनक ज़ाहिर होती है। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने इस मामले पर आकस्मिक बैठक की। यह परमाणु परीक्षण 1948 में उत्तर कोरिया के गठन की सालगिरह के मौक़े पर हुआ है।

अमेरिका ने भी उत्तर कोरिया के इस क़दम के गंभीर परिणाम की चेतावनी दी है। चीन ने इस परीक्षण का सख्तीपूर्वक विरोध करते हुए उत्तर कोरिया को भविष्य में ऐसे किसी भी कदम से दूर रहने का आग्रह किया है। चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसा हुआ तो भविष्य में इसके बुरे नतीजे होंगे। जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे ने कहा है कि अगर उत्तर कोरिया कोई परीक्षण करता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर उत्तर कोरिया ने एक और परीक्षण किया है तो वह इस क्षेत्र के स्थायित्व के लिए कई नए सवाल खड़े कर सकता है। जनवरी में हुए चौथे परमाणु परीक्षण के बाद उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ आर्थिक और दूसरे प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया गया है, लेकिन अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव की वजह से उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ कोई साझा क़दम उठाने में दिक्क़त आ सकती है। चीन उत्तर कोरिया का सबसे क़रीबी देश है। हालांकि उसके परमाणु परीक्षणों के ख़िलाफ़ है लेकिन कोई ऐसा क़दम नहीं उठाना चाहता जिससे दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच तनाव पैदा हो।