वीरेंद्र नाथ भट्ट।
लखनऊ के पुराने शहर में रहने वाले कारोबारी मुहम्मद हाशिम के फोन की घंटी बजी। उधर से आवाज आई, ‘मैं गोमती नगर थाने से बोल रहा हूं। क्या आप थाने आ सकते हैं। आपका बेटा हमारी हिरासत में है।’ हाशिम भागते हुए थाने पहुंचे। थानेदार ने बताया कि उनके बेटे को लोहिया पार्क से पकड़ा गया है और आप अपने बेटे से ही पूछ लीजिए कि हमने क्यों पकड़ा है। कारण सुन कर हाशिम सन्न रह गए। उनका पुत्र गोमती नगर के एक पब्लिक स्कूल में कक्षा 11 का छात्र है। बेटे को हाशिम ने महंगी मोटरसाइकिल और स्मार्ट फोन भी दे रखा है। हाशिम खुश भी है और हैरत में भी। खुश इसलिए कि उनको बेटे की करतूतों का पता चल गया कि वह तीन महीने से स्कूल नहीं गया था और हैरत में इसलिए कि अपने बेटे का ख्याल रखना उनकी जिम्मेदारी है जिसे पुलिस निभा रही है। हाशिम ने कहा, ‘मुझे तो और भी ज्यादा हैरत पुलिस के व्यवहार से है जिसने उनसे इज्जत से बात की।’ आज हाशिम अपने मोहल्ले में योगी आदित्यनाथ के ब्रांड एम्बेस्डर बन चुके हैं। अंतर बस इतना आया है कि अब अपनी व्यस्त दिनचर्या के बाद भी वह बेटे को स्कूल छोड़ने और लेने जाते हैं और लगभग हर दिन उसके टीचरों से भी मिल लेते हैं।
अखिलेश यादव जो अब भूतपूर्व मुख्यमंत्री हैं, चुनाव प्रचार के दौरान अपनी सरकार की उपलब्धि के बारे में बोलने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी पर व्यंग्य करते थे, ‘अच्छे दिन’ वाले कहां हैं।’ चुनाव के बाद 19 मार्च को योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से प्रदेश के लोगों को अच्छे दिन का अहसास होने लगा है। मनचलों के बुरे दिन आ गए हैं। राजधानी लखनऊ में अंग्रेजी और देशी शराब की दुकान के सामने पीने वालों की शाम होते ही भीड़ लगती थी। लोग विशेषकर महिलाओं को परेशानी होती थी लेकिन वे बेबस थीं। कोई सुनने वाला नहीं था। नई सरकार के शपथ लेने के बाद हालात तेजी से बदले हैं। योगी के ताबड़तोड़ फैसलों से सड़क पर गुंडागर्दी करने वाले और शाराब पीने वालों की तो शामत आ गई है। योगी सरकार ने कुछ भी नया नहीं किया है। सरकार केवल वही कर रही है जो किसी भी सरकार का मूल दायित्व है, यानी हर नागरिक की जान माल की सुरक्षा।
15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा था कि माता पिता अपनी बेटी से देर से घर आने पर तो पूछते हैं कि कहां थी, लेकिन क्या कभी अपने पुत्र से भी पूछा है कि वह देर रात तक कहां था। तीन साल बाद अब उत्तर प्रदेश में मां बाप को बेटी की चिंता नहीं होती। अगर बेटा देर से आए तो जरूर चिंता होती है कि कहीं पुलिस के एंटी रोमियो स्क्वायड ने तो नहीं पकड़ लिया। अब कॉलेज, बाजार, सिनेमा हाल संभल कर जाने की हिदायत माता पिता अपनी बेटी के बजाय अपने बेटे को देते हैं कि बेटा संभल कर जाना, अपना ध्यान रखना।
पिछले पंद्रह सालों से क्षेत्रीय दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लंबे शासन के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश के 15-25 वर्ष के युवा वर्ग के लिए बिलकुल नया अनुभव साबित हो रही है। भीड़ भरी सड़कों पर मोटरसाइकिल रेस और स्टंट करना, शराब की दुकानों के सामने शाम होते ही मेले का माहौल और शराब के नशे में मारपीट और बाजार, शॉपिंग मॉल में लड़कियों को देख अश्लील फब्ती आदि आदि उत्तर प्रदेश के समाज का सहज और सामान्य चरित्र बन गया था और लोगों ने धीरे धीरे अराजकता को ही समाज का सामान्य रूप मान लिया था।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने के तुरंत बाद ऐक्शन में आने से पूरे उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की एक नई शक्ल लोगों के सामने आ रही है। शपथ लेने के तुरंत बाद योगी ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि कानून व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और उनके मुख्यमंत्री बनने पर उत्सव के नाम पर उपद्रव नहीं होना चाहिए। हालत से कैसे निपटना है यह आपकी जिम्मेदारी है। योगी के सत्ता संभालने के तीन दिन के अंदर पुलिस ने पूरे प्रदेश में ‘आपरेशन रोमियो’ और आपरेशन ‘एंटी चियर्स’ यानी सार्वजनिक स्थलों पर शराब पीने के खिलाफ अभियान शुरू किया। 24 घंटे के अंदर देश के मीडिया में उबाल आ गया कि उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व का एजेंडा लागू किया जा रहा है और ‘मॉरल पुलिसिंग’ की जा रही है, प्यार पर पहरा बैठाया जा रहा है। मामले की नजाकत को समझते हुए सरकार हरकत में आई कि किसी भी दशा में किसी के साथ अमानवीय व्यवहार न किया जाए और जो लोग सार्वजनिक स्थल पर कानून के दायरे के बाहर किसी हरकत में लिप्त पाए जाएं तो तुरंत मुकदमा लिख जेल भेजने की बजाय उनके माता पिता को विश्वास में लिया जाए।
कानून व्यवस्था के साथ योगी सरकार प्रदेश की नौकरशाही के एक वर्ग के लिए नया अनुभव है क्योंकि उन्होंने प्रदेश में कभी राष्ट्रीय पार्टी का शासन देखा ही नहीं, उनका अनुभव तो केवल एक व्यक्ति या एक परिवार की पार्टी तक सीमित है। प्रदेश के एक सेवानिवृत्त मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में तो लोग भूल ही चुके हैं कि कभी केंद्र सरकार में सचिव और अतरिक्त सचिव पद पर ‘एंपैनल’ आईएएस अधिकारी ही मुख्य सचिव बनता था। लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों के समय तो शासन की हर परंपरा को नष्ट कर दिया गया और केवल जी हुजूरी करने वाले ही मुख्य सचिव के लिए योग्य माने जाते थे। मुलायम सिंह यादव की सरकार में तो हालात इतने खराब थे कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दो मुख्य सचिवों को हटाना पड़ा। दोनों के खिलाफ सीबीआई की जांच चल रही थी और दोनों जेल भी गए थे। अखिलेश सरकार के समय एक कुख्यात अफसर दीपक सिंघल मुख्य सचिव बन गए, लेकिन उनको जल्दी हटाना पड़ा। अखिलेश के विश्वासपात्र और उत्तर प्रदेश के इतिहास में वर्तमान मुख्य सचिव राहुल भटनागर पहले अफसर हैं जो वर्तमान पद के साथ प्रमुख सचिव गन्ना और चीनी उद्योग का चार्ज भी संभाल रहे हैं। अखिलेश यादव ने तो भ्रष्टाचार के सभी पुराने कीर्तिमानों को ध्वस्त करते हुए सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद से सजायाफ्ता आईएएस अधिकारी को प्रमुख सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात कर रखा था, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश पर उनको सरकार ने हटाया और जेल भेज दिया।
अफसरों में यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर योगी आदित्यनाथ नौकरशाही में फेरबदल कब करेंगे। योगी के साथ लोक सभा में रह चुके एक मंत्री ने कहा कि जल्दी क्या है। आखिर सरकार को काम तो इन्हीं अफसरों से लेना है। यदि शीर्ष पर सब साफ है तो नीचे अपने आप ही सब ठीक हो जाता है और प्रदेश में कितनी तेजी से परिवर्तन हो रहा है, यह आम आदमी भी अनुभव कर रहा है। एक वरिष्ठ आईएएस ने कहा कि मुख्यमंत्री जी देख और समझ रहे हैं और यदि किसी को यह गलतफहमी हो कि उनको अनुभव नहीं तो जितनी जल्दी हो सके इसे दूर कर लें। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों को वापस बुलाने का पत्र भेज दिया है और इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगता है। बाकी फेरबदल भी 31 मार्च को वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद जल्दी होगा।
समाजवादी पार्टी के करीबी रहे एक वरिष्ठ अफसर ने कहा है कि तीस साल से अधिक नौकरी में पहली बार देख रहा हूं कि एक सरकार पुरानी बोतल में नई शराब के साथ काम कर रही है। अब तक तो नई बोतल में पुरानी शराब से काम होता था। इस सरकार को अफसरों के फेरबदल की जल्दी नहीं है और न ही भाजापा के विधायक और सांसद जिला अधिकारी और पुलिस कप्तान को बदलने की मांग कर रहे हैं। उस अफसर ने कहा कि यह तभी संभव है जब राजनीतिक नेतृत्व के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति का अपना निजी स्वार्थ न जुड़ा हो और जब शीर्ष पर सब साफ है तो कोई अन्य नेता बोलने का साहस नहीं करता है।
15 साल तक क्षेत्रीय दलों को झेल चुके अफसरों में लंबे समय बाद एक राष्ट्रीय पार्टी की सरकार एक नया अनुभव हैै। गोरखपुर में तैनात रह चुके अफसर गोरखनाथ मंदिर में पुराने सूत्र तलाश रहे हैं, लेकिन गोरखपुर में रह चुके एक अफसर ने कहा कि कुछ भी कर लो जुगाड़ लगने वाला नहीं है। लेकिन मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव के राज में लखनऊ, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, नोएडा आदि में हजारों करोड़ का हेरफेर, शराब के ठेके में एक गाजियाबाद के एक खास ठेकेदार का एकाधिकार, बाल विकास पुष्टाहार विभाग में तीन हजार करोड़ के ठेके में भी शराब के ठेकेदार का एकाधिकार, लखनऊ मेट्रो में घपला, लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे में एक हजार करोड़ से अधिक का घोटाला आदि का ‘कुशल संपादन’ कर चुके अफसरों के चेहरे पर चिंता की गहरी लकीरें हैं। अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव के प्रिय दो विभाग सिंचाई और लोक निर्माण विभाग में तो घोटालों की लंबी फेहरिस्त है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार के दौरान पांच करोड़ से अधिक भुगतान की सभी फाइलें तलब कर चिंता और बढ़ा दी है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि पिछले 15 साल में हुई जबर्दस्त लूटपाट पर कार्रवाई करने के लिए किसी अभियान की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री हर विभाग की समीक्षा कर रहे हैं। सारे मामले स्वयं सामने आएंगे और सरकार को वही करना है जो कानून कहता है।