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magadhचुनाव आते ही हर दल अपने-अपने परंपरागत वोटों को एकजुट रखने के लिए अपने हिसाब से कवायद शुरू कर देता है. बिहार का मगध क्षेत्र भी राजनीतिक रूप से अति महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हर दल के नेता सभी तरह की राजनीतिक तिकड़मबाजी से बाज नहीं आते. यहां की जाति आधारित राजनीति में मुस्लिम वोटों की भी अहम भूमिका रहती है. लोकसभा चुनाव निकट आते ही विभिन्न दलों के मुस्लिम नेता सक्रिय हो गए हैं. हर नेता के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन सभी का एक ही दर्द है कि कोई भी दल मगध के पांच लोकसभा क्षेत्रों से मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारता, सिर्फ इस वोट बैंक पर अपनी दावेदारी करता है. हालांकि, इस वोट बैंक को राजद और कांग्रेस अपना परंपरागत वोट मानते रहे हैं. लोगों का मानना भी है कि भाजपा या एनडीए को मुस्लिम वोट नहीं मिलते, लेकिन मगध के जदयू के मुस्लिम नेता इस बात को खारिज करते हैं.

नवादा जिला सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन एवं वरिष्ठ जदयू नेता मेजर इकबाल हैदर खान कहते हैं कि आजादी के बाद मुस्लिमों के लिए यदि किसी मुख्यमंत्री ने सबसे ज्यादा काम किया, तो वह हैं नीतीश कुमार. उन्होंने मुस्लिमों के लिए 32 योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ भी मिल रहा है. इसलिए मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव जदयू की ओर है, जिसमें सबसे बड़ा योगदान बिहार विधान परिषद सदस्य सलमान रागिव का है. मगध में मुस्लिम नेताओं में सलमान रागिव सबसे बड़ा नाम है. वह तीन बार से लगातार विधान परिषद सदस्य हैं. मगध में जदयू को मजबूत करने में मसीहदीन, गया जिला जदयू अध्यक्ष शौकत अली, गया सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष हसनैन अख्तर उर्फ  हसनु मियां समेत दर्जनों नेता लगे हुए हैं. यह अलग बात है कि मगध की पांच लोकसभा सीटों गया सुरक्षित, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद और काराकट पर फिलहाल एनडीए का कब्जा है. जहानाबाद के रालोसपा सांसद अरुण कुमार और काराकट के रालोसपा सांसद उपेंद्र कुशवाहा एनडीए छोड़ चुके हैं. 2014 में दोनों एनडीए का हिस्सा बनकर चुनाव जीते थे. अगर जदयू के मुस्लिम नेताओं की बात में दम रहा और लोकसभा चुनाव में कुछ प्रतिशत मुस्लिम वोट भी एनडीए के जदयू- भाजपा प्रत्याशी को मिल सके, तो बहुत बड़ी बात होगी.

वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस और महा-गठबंधन का है. नवादा शहर कांग्रेस अध्यक्ष नदीम हयात कहते हैं कि मुस्लिम आजादी से पहले और बाद में भी कांग्रेस के वोटर रहे हैं. मगध के हर चुनाव में मुस्लिम वोट कांग्रेस और उसके गठबधन को जाते रहे. कांग्रेस के गया जिला उपाध्यक्ष मुन्ने हसन भी नदीम हयात का समर्थन करते हैं. हसन अपनी पार्टी से मगध में कम से कम एक क्षेत्र से मुस्लिम प्रत्याशी उतारने की मांग करते हैं, क्योंकि मुस्लिमों की आबादी गया में 22, नवादा में 11, औरंगाबाद में 24 और अरवल में 17 प्रतिशत है. पिछले छह महीने से मगध के मुस्लिम बुद्धिजीवियों की लगातार बैठकें हो रही हैं. मगध के मुस्लिमों की उपेक्षा सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं, इसी को लेकर एकजुट होने और एक दल को वोट देने का निर्णय लेने की बात कही जा रही है. मगध में मुस्लिम नेताओं एवं वोटरों का जो रुख देखा जा रहा है, उससे स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव में मगध के सभी पांच लोकसभा क्षेत्रों में मुस्लिम वोट भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर होगा.