संध्या द्विवेदी

नई दिल्‍ली। भाजपा और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी की दलित विरोधी छवि बदलने के लिए तत्पर हैं। विपक्ष अब यह जरूर कहेगा कि भाजपा का हिंदू कार्ड नहीं चला तो वह अब खास दलित कार्ड खेलने का जतन कर रही है। लेकिन एक टीवी चैनल को दिया गया प्रधानमंत्री का साक्षात्कार और जोसेफ डिसूजा का बयान भाजपा की तस्वीर और चुनावी तकदीर बदलने की तरफ उठाया गया एक ठोस या विपक्षियों की भाषा में कहें तो सियासी कदम है।

दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा के मामले में लगातार निशाने पर मोदी सरकार या साफ शब्दों में कहें तो नरेंद्र मोदी घिरते जा रहे हैं। उन पर दलित विरोधी होने का आरोप विपक्ष लगातार लगा रहा है। ऐसे में अगर अंतररराष्ट्रीय स्तर के माने जाने वाले मानवाधिकार एक्टिविस्ट जोसेफ डिसूजा अगर यह कहें कि नरेंद्र मोदी बाबा भीमराव अंबेडकर का नया अवतार हैं,  उनकी तुलना अब्राहम लिंकन से करें तो एक तरफ जहां भाजपा को राहत मिलेगी वहीं दूसरी तरफ विपक्ष आहत होगा।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार को सुनने के बाद दलित फ्रीडम नेटवर्क एवं ऑल इंडिया क्रिश्चियन सोसायटी के अरंतरराष्ट्रीय प्रेसीडेंट जोसेफ डिसूजा ने यह बयान दिया। जोसेफ भारत में दलितों के मानवाधिकारों का एक बड़ा चेहरा हैं। दूसरे क्रिश्चियन सोसायटी का एक बड़ा चेहरा हैं। अभी तक हजारों दलितों का क्रिश्चियन धर्म में परिवर्तन करा चुके हैं। इसलिए जोसेफ का बयान न केवल भारत बल्कि दुनियाभर में मोदी की दलित विरोधी छवि को बदलने में अहम भूमिका निभाएगा। जोसेफ ने यह भी कहा कि मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो जाति आधारित व्यवस्था के खिलाफ खड़े दिखते हैं, दलितों की गरीबी को अपना हथियार नहीं बनाना चाहते बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध कर मुख्यधारा में लाकर उन्हें सम्मान दिलाना चाहते हैं। जोसेफ ने नरेंद्र मोदी की छवि न केवल दलितों के मसीहा के रूप में स्थापित की बल्कि एक अच्छा और निष्पक्ष प्रशासक भी बताया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ऐसे राजनेता हैं जो अपनी ही पार्टी के लोगों को अनाप शनाप न बोलने और निष्पक्ष रहने की हिदायत देते हैं। वह सख्ती से कहते हैं कि किसी खास धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों पर हिंसा करने या उनके बारे में ऊल जुलूल बयान देने का अधिकार नहीं है, भले ही वह भाजपा से क्यों न ताल्लुक रखते हों।

कुल मिलाकर देर आए मगर दुरस्त आए की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने साक्षात्कार में दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर न केवल दुख जताया बल्कि इसे विकास विरोधी भी कहा। उन्होंने कहा जाति व्यवस्था में सबसे वंचित तबके दलित और आदिवासी समुदाय को आगे लाने का एक ही जरिया है, वह है आर्थिक समृद्धि। उन्होंने मुद्रा योजना का जिक्र करते हुए कहा कि साढ़े तीन करोड़ लोग सीधे इससे लाभान्वित हुए। दलितों और आदिवासियों के लिए चलाई गई स्टैंडअप योजना का जिक्र किया, जिसमें इन समुदाय के लोगों को औद्योगिक ईकाई लगाने के लिए लोन देने का प्रावधान है। वह यह बताने से भी नहीं चूके कि उन्होंने 125 साल बाद बाबा भीमराव अंबेडकर की जन्म शताब्दी मनाई, जिसके बाद दुनिया के 102 देशों में बाबा साहब की जन्मशताब्दी मनाई गई। दिल्ली,  उनके जन्मस्थान, लंदन, मुंबई, लंदन सब जगह ‘पंच तीर्थ’ भी स्थापित किए। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद को बाबा साहब का भक्त भी कहा। उन्होंने विपक्ष पर और मोदी विरोधी लोगों पर सीधा निशाना साधते हुए कहा, “ उन्हें यह अंदाजा ही नहीं था कि नरेंद्र मोदी अंबेडकर के इतने बड़े भक्त हैं। उन्हें यह बात नागवार गुजर रही है।’’