कमलेश पाण्डेय।

नक्सलियों के बच्चे विदेशों में, कोई मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता है तो कोई पढ़ाई, फ्रांस से लेकर मुंबई और पुणे से लेकर कानपुर हर जगह हैं नक्सलियों के बच्चे। ये चंद उदाहरण हैं जो माओवादियों के दोहरे चरित्र को उजागर कर रहे हैं। जानकर आश्चर्य होता है कि कई माओवादी नेताओं के बेटे-बेटी इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में पढ़ रहे हैं। वहीं, कई ऐसे भी हैं जिनके बच्चे मल्टीनेशनल कंपनियों में लाखों रुपये के पैकेज पर नौकरी कर रहे हैं। दूसरी तरफ घोर जंगलों में बसे आदिवासियों पर वे इतना दबाव डाल रहे हैं कि गांव के हर घर से कम से कम एक व्यक्ति उनकी कथित लड़ाई में शामिल हो।
छत्तीसगढ़ में माओवादियों के शीर्ष नेताओं में गिने जाने वाले राजचंद्र रेड्डी उर्फ कट्टारामचंद्र उर्फ राजू दादा उर्फ गुड्सा उसेंडी की 22 साल की बेटी बीटेक करने के बाद आईटी कंपनी में आठ लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी कर रही है। उसका बेटा ईएमसीईडी की कोचिंग के साथ डेंटल की पढ़ाई कर रहा है। उस पर 40 लाख रुपये का इनाम है। उसकी पत्नी रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है। कहा जाता है कि सरकारी नौकरी और नौकरशाहों से माओवादी नफरत करते हैं। लेिकन उनके बच्चे सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं। माओवादी एग्रीकल्चर डिवीजन का सदस्य माचरेला यासबु उर्फ श्रीमन नारायण कैलाशम की बेटी आंगनबाड़ी में सरकारी नौकरी कर रही है। पोलित ब्यूरो सदस्य मिशिर का परिवार ठिकाना बदल कर बेटे-बेटी को स्कूल में पढ़ा रहा है।

माओवादियों का असली चेहरा इससे साफ सामने आता है कि कैसे वे आदिवासियों को बरगला रहे हैं और अपने बच्चों को इससे अलग रख रहे हैं। वैसे इन सब बातों को अब छत्तीसगढ़ की जनता जान गई है और माओवादी जो इनके नाम पर पैसे कमा रहे हैं इनसे दूरियां बना रही है।
                                                                                                                                                                            (—जीपी सिंह, सिक्यूरिटी हेड, छत्तीसगढ़)

ग्रामीणों को अपनी हिंसक गतिविधियों में शामिल कराने के लिए माओवादी साहित्य बांटने वाला देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद निशांत उर्फ सुजीत का बेटा कानपुर आईआईटी से कैमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। माओवादी लड़ाई में कंपनी कमांडर मल्लाराजी रेड्डी उर्फ सत्तेन्ना उर्फ सयन्ना उर्फ सागर उर्फ आलोक उर्फ देशपांडे उर्फ एसएन उर्फ लक्ष्मण की बेटी बीएससी की पढ़ाई पूरी कर अब मुंबई से एलएलबी कर रही है। ग्रामीणों का ब्रेनवॉश करने में कुख्यात विजय रेड्डी उर्फ सुगुलरी चिन्नन्ना उर्फ नागन्ना का बड़ा बेटा बीटेक कर तेलंगाना की कंपनी में लाखों के पैकेज पर नौकरी कर रहा है। छोटा बेटा बीटेक की पढ़ाई कर रहा है।
शहरी नेटवर्क के कंपनी कमांडर केके मुरलीधरण उर्फ राजेंद्र उर्फ गोपी उर्फ राघव उर्फ विजयन्ना उर्फ सन्नी का बेटा केरल के कोच्चि में सॉफ्टवेयर कंपनी में लाखों के पैकेज पर नौकरी कर रहा है। इसके अलावा नक्सलियों के कई बच्चे अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड सहित कई बड़े देशों में रहते हैं। एसआईबी के अफसर अब इस नेटवर्क का पता करने में लगे हैं कि कहीं अपने बच्चों के जरिये नक्सली फ्रांस, जापान सहित चीन में सेटिंग तो नहीं करते हैं। हर पहलू की जांच में एजेसियां लग गई हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर माओवादी अपने बच्चों सरीखा व्यवहार आदिवासियों के साथ क्यों नहीं कर रहे।