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पाप पीछा करता है और अपराध का दंड मिलता जरूर है. इस कटु सत्य को उत्तराखंड भाजपा से अधिक भला कौन समझ सकता है. महिला कार्यकर्ता के यौन शोषण के आरोपी नेता से प्रदेश संगठन महामंत्री का पद छिन चुका है और अब उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. 

uttrakhandअपने प्रदेश संगठन महामंत्री की करतूत उत्तराखंड भाजपा पर भारी पड़ गई और उसे बचाव की मुद्रा में आना पड़ा. राज्य में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनने के बाद दिल्ली से भेजे गए संजय कुमार को यहां प्रदेश संगठन महामंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद दिया गया. संजय ने पद ग्रहण करते ही मनमर्जी शुरू कर दी. उन्होंने कभी न तो मुख्यमंत्री की सुनी और न पार्टी अध्यक्ष की. वही किया, जो उनके दिल ने गवाही दी. पार्टी में उन्हें मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के समानांतर माना जाने लगा. इसके चलते उनके कई विरोधी पैदा हो गए. बावजूद इसके वह अपनी मर्जी चलाते रहे. लेकिन ‘अति’ तो आखिरकार ‘अति’ होती है, जिसके नतीजे एक दिन विपरीत ही जाते हैं.हुआ यह कि नवंबर 2018 के शुरुआती दिनों में एक भाजपा कार्यकर्ता ने संजय पर यौन शोषण का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी. आजीवन सहयोग निधि में चंदे के तौर पर आने वाली रकम का हिसाब-किताब देने के लिए उसे संगठन महामंत्री के दफ्तर जाना पड़ता था. उसी दौरान उसके साथ अमर्यादित आचरण किया गया.

कथित पीडि़ता ने अपने समर्थन में मोबाइल से किए कुछ स्टिंग भी पेश किए. उसने दावा किया कि आरोपी के खिलाफ कार्यवाही के लिए प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू से लेकर महानगर अध्यक्ष विनय गोयल तक शिकायत की, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी. महीनों तक मुद्दे को दबाकर रखा गया और उस पर चुप रहने का दबाव बनाया गया. जब यह खबर मीडिया में आई, तो भाजपा नेतृत्व ऊपर से नीचे तक हिल गया. संजय भूमिगत हो गए और नेतृत्व बचाव की मुद्रा में आ गया. प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने बयान दिया कि संजय पर आरोप लगाने वाली कार्यकर्ता उचित फोरम में अपनी बात रखे, जांच के बाद जरूर कार्यवाही होगी.

भाजपा अध्यक्ष के बयान से भी यही लगा कि वह मामले को रफा-दफा करना चाहते हैं, लेकिन पीडि़ता अपनी बात पर अड़ी रही. अंतत: सात नवंबर को अचानक संजय को उनके पद से हटा दिया गया. हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि संजय को हटाया नहीं गया, बल्कि वह खुद इस जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. यानी भाजपा नेतृत्व यह मानने को तैयार नहीं था कि संजय ने गलती की है. १० नवंबर को पीडि़ता ने देहरादून के एसएसपी को ई-मेल द्वारा अपनी शिकायत भेजी, जिसका पुलिस ने तुरंत संज्ञान लिया. और, भाजपा के लिए यह मामला गले की फांस बन गया. वह न तो पुलिस पर कार्रवाई रोकने का दबाव बना सकती थी और न कार्रवाई करने के लिए कह सकती थी. वजह यह कि हर सूरत में इससे उसका दामन दागदार होना तय था. कांग्रेस ने तुरंत इस मुद्दे को लपक लिया और पुलिस को मजबूरी में जांच आगे बढ़ानी पड़ी.

दिसंबर के अंत में एसपी देहात सरिता डोभाल ने पीडि़ता का बयान दर्ज किया और पांच जनवरी को संजय के खिलाफ यौन उत्पीडऩ एवं धमकी देने के आरोप में आईपीसी की धारा 294, 354 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. पीडि़ता ने 164 के तहत दिए गए बयान में भी अपने साथ बलात्कार की बात कही. इसके बाद पुलिस ने मुकदमे में बलात्कार की धारा भी जोड़ दी. इसी बीच संजय ने अपनी गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट से स्टे ले लिया. मामले में अब राज्य सरकार को नैनीताल हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखना है. लेकिन, बलात्कार की धारा जुडऩे और 164 के बयान के बाद संजय की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है. दरअसल, संजय की गिरफ्तारी उनके व्यक्तिगत लाभ-हानि से नहीं, बल्कि प्रदेश भाजपा और संघ की प्रतिष्ठा से जुड़ी है.

संघ हुआ नाराज

संजय संघ कॉडर के हैं. मामले की जानकारी मिलते ही संघ ने उन्हें पदमुक्त करने का फैसला कर लिया. सूत्रों का कहना है, संघ चाहता था कि बात यहीं खत्म हो जाए. महिला कार्यकर्ता ने यौन उत्पीडऩ की शिकायत की और आरोपी को पद से हटा दिया गया, इतना काफी था. मुकदमा दर्ज होने का मतलब है कि यौन शोषण का आरोप सच है, इसलिए पुलिस को मामले में दखल देने का अधिकार मिल गया. संघ यह नहीं चाहता था. सूत्रों का कहना है, यही वजह है कि संजय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाले भाजपा नेताओं से संघ के कुछ बड़े नेता नाराज हैं, जिसकी गाज कभी भी उन पर गिर सकती है. बकौल सूत्र, प्रदेश भाजपा के कुछ नेता नहीं चाहते थे कि राज्य में भाजपा की राजनीति में संजय का कोई दखल रहे और वे हमेशा उन्हें बाहर वाला मानते रहे. यौन शोषण का मामला जब सुर्खियों में आया, तो वे ताबड़तोड़ सक्रिय हो गए और मुकदमा दर्ज कराने के लिए उन्होंने हरसंभव हथकंडे अपना डाले.

नेताओं के बदले सुर

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट कहते हैं कि संजय कुमार का मामला प्रकाश में आने के बाद उससे केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराया गया और तुरंत उन्हें पद मुक्त कर दिया गया. भट्ट ने कहा कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है. कांग्रेस में तो कई पदाधिकारी संगीन आरोपों के बाद भी अहम पदों पर जमे बैठे हैं. कांग्रेस के प्रवक्ता मनु अभिषेक सिंघवी की सीडी सामने आई थी, लेकिन वह अपने पद पर बने हुए हैं. शशि थरूर की तीसरी पत्नी सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले में जांच चल रही है. सांसद रेणुका चौधरी को आखिरकार कहना पड़ा कि कांग्रेस भी ‘मीटू’ से मुक्त नहीं है. भट्ट कहते हैं कि किसी भी बहन-बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जिसने गलत काम किए, उसे पुलिस कानून के हिसाब से दंडित करेगी. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह भी कहते हैं कि मामले में कानून अपना काम करेगा.

कांग्रेस ने फूंका पुतला

यौन शोषण के आरोप में फंसे भाजपा नेता संजय कुमार के खिलाफ कांग्रेस ने राजधानी देहरादून में जोरदार नारेबाजी के बीच प्रदर्शन किया और उनका पुतला फूंका. कांग्रेस इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव में भुनाने की तैयारी कर रही है. वह भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे पर सवाल खड़े कर रही है.

गिरफ्तारी से कम कुछ मंजूर नहीं

इंसाफ की जंग लड़ रही पीडि़ता का कहना है कि आरोपी को जेल भेजने से कम कुछ भी उसे मंजूर नहीं. भाजपा के किसी भी नेता ने उसकी बात नहीं सुनी. किसी ने निकाय चुनाव का बहाना बनाकर, तो किसी ने संगठन की बदनामी के नाम पर उसे चुप रहने की हिदायत दी. जब इन हथकंडों से बात नहीं बनी, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी मिलने लगी. भाजपा के एक नेता ने उसका पीछा तक किया. पीडि़ता का कहना है कि शिकायत करने के बाद लगातार मिल रही धमकियों के चलते ही उसे देहरादून छोडऩा पड़ा.