डॉ. संतोष मानव

सिंहस्थ कुंभ को बीते करीब तीन महीने हो चुके हैं। इसके आयोजन पर हुए भारी भरकम खर्च को लेकर विपक्षी कांग्रेस राज्य की भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि सिंहस्थ पर खर्च हुए साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये में से तीन हजार करोड़ रुपये अधिकारियों-नेताओं की जेब में गए यानी इसमें भारी गड़बड़ी हुई। वहीं सरकार कह रही है कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। यह सिर्फ कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति का उदाहरण है। कांग्रेस पार्टी के निशाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके प्रिय जल संसाधन मंत्री नरोत्तम मिश्रा हैं। ऐसा इसलिए कि दोनों के रिश्तेदारों के सिंहस्थ के आयोजन में बड़ी भूमिका थी। नरोत्तम मिश्रा के दामाद अविनाश लवानिया उज्जैन नगर निगम के आयुक्त हैं। नगर निगम में ही मुख्यमंत्री के नजदीकी रिश्तेदार वीरेंद्र सिंह चौहान भी हैं। उज्जैन में 22 अप्रैल से 21 मई तक सिंहस्थ कुंभ का आयोजन हुआ था।

कांग्रेस सदन से सड़क तक यह मामला उठा रही है और सरकार उसके हर आरोप को काट रही है। ऐसे में यह सियासी संग्राम दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस की ओर से पहले सोशल मीडिया पर सिंहस्थ की खरीदी व सेवा के आंकडेÞ जारी किए गए। फिर प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर संवाददाताओं को गड़बड़ी की जानकारी दी लेकिन मीडिया में पार्टी के आरोपों को तवज्जो नहीं मिली। विधानसभा के मानसून सत्र में मामला उठाने की रणनीति बनी पर कांग्रेस वहां भी बुरी तरह पिट गई। कहा गया कि गेम फिक्स हो गया। इसके तहत ही विधानसभा में गुरु पूर्णिमा का अवकाश किया गया। अगर सदन एक दिन और चलता तो सिंहस्थ पर चर्चा होती। आरोपों के घेरे में विपक्ष के कार्यवाहक नेता बाला बच्चन हैं।

हुआ यूं कि संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संवाददाताओं से कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में बाला बच्चन ही गुरु पूर्णिमा के अवकाश का प्रस्ताव लाए थे। आमतौर पर कार्य मंत्रणा समिति की बात बाहर नहीं कही जाती है पर नरोत्तम मिश्रा ने ऐसा किया। अब सवाल यह उठा कि नरोत्तम मिश्रा ने ऐसा क्यों किया? कहीं यह कांग्रेस में फूट डालने की रणनीति तो नहीं थी? बाद में बाला बच्चन ने कहा कि अवकाश का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष का था और उस पर मुख्यमंत्री की सहमति थी। इसके तुरंत बाद ही कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर एक समाचार का लिंक जारी करते हुए कहा कि मीडिया कह रही है कि सिंहस्थ पर फिक्सिंग हुई है। कांग्रेस को यह मुद्दा जोरशोर से उठाना चाहिए। दिग्गी के ट्वीट के बाद कांग्रेस के विधायकों में गरमी आई। सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाने की कोशिश की। इस पर सदन में काफी हंगामा हुआ।

कांग्रेस ने मांग की कि मामले की सीबीआई से जांच हो तो सरकार ने कहा कि विपक्ष के पास सबूत है तो वह लोकायुक्त के पास जाए। कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने कहा कि नरोत्तम मिश्रा प्रदेश में भ्रष्टाचार के प्रतीक बन गए हैं। जवाब में मिश्रा ने कहा कि नायक ही भ्रष्टाचार में आंकठ डूबे हैंै। सरकार ने कहा कि कांग्रेस झूठे और गढ़े गए आंकड़े जारी कर रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सिंहस्थ के लिए 40 लाख रुपये के चप्पल खरीदे गए। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि चार लाख रुपये के चप्पल खरीदे गए। इसी तरह कांग्रेस का आरोप था कि 37 हजार शौचालय बनाने को मंजूरी दी गई थी मगर दस हजार से ज्यादा नहीं बने। सरकार ने इस पर कहा कि 53,192 शौचालय और 22,956 स्नानागार बने। स्वतंत्र एजेंसी ने इसका सत्यापन किया है। गुणवत्ता में पांच फीसदी की कमी पाई गई थी तो निर्माण करने वाले संबंधित लोगों से इसकी वसूली की गई।

मानसून सत्र की समाप्ति के चार ही दिन बीते कि कांग्रेस ने भोपाल के रोशनपुरा चौराहे के पास स्थित अपने पुराने कार्यालय पर बड़ा सा बैनर (फ्लैक्स) लगाया। इसमें मुख्यमंत्री को स्वामी शिवरामानंद व नरोत्तम मिश्रा को नरोत्तमानंद बताते हुए गड़बड़ी की बात कही गई थी। नगर निगम का अमला इसे हटाने आया तो कांगे्रस पार्टी के नेताओं ने हंगामा कर दिया। शांति बहाल करने पुलिस आई और कुछ नेताओं की गिरफ्तारी के बाद फ्लैक्स हटाया जा सका। लेकिन कांग्रेस के एक नेता ने हटाए गए फ्लैक्स को नगर निगम के अमले से छीन लिया। फ्लैक्स हटाने के विरोध में दूसरे दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव रोशनपुरा चौराहे पर ही सैकड़ों नेताओं के साथ धरने पर बैठ गए। वे इसके खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराने भी पहुंच गए। पुलिस से उन्होंने कहा कि जवाहर भवन कांग्रेस की संपत्ति है। वहां से कैसे फ्लैक्स हटाया गया। पुलिस ने गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह, जल संसाधन मंत्री नरोत्तम मिश्रा, नगर निगम अमले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग का आवेदन तो ले लिया पर एफआईआर दर्ज नहीं किया। दूसरी ओर फ्लैक्स हटाने का विरोध करने वाले नेताओं व नगर निगम के अमले से फ्लैक्स छीनने वाले नेता मोहम्मद सगीर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। कांग्रेस नेता मुकेश नायक का कहना है कि सरकार अगर पाक साफ है तो सिंहस्थ की खरीद से जुड़ी हर चीज का लेखा-जोखा वेबसाइट पर डाल दे। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी हुई है और कांग्रेस इस मामले को छोड़ेगी नहीं।

भाजपा भी कांग्रेस के हमलों को देखते हुए तैयारी में है। कैबिनेट की बैठक के बाद नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त विवेक अग्रवाल ने सिंहस्थ को लेकर प्रेजेंटेशन दिया। इसमें बताया गया कि मटका 800 रुपये प्रति नग नहीं बल्कि 94 रुपये प्रति नग के हिसाब से खरीदा गया है। ऐसे ही डिवाइडर पर लगाने के लिए घास 150 करोड़ रुपये में नहीं, एक करोड़ रुपये में खरीदी गई। ऐसे ही कांग्रेस के तमाम आरोपों का इस प्रेजेंटेशन के जरिये जवाब दिया गया। इस प्रेजेंटेशन के बारे में सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मंत्री प्रदेश में प्रवास पर रहते हैंै। मीडिया के लोग कांग्रेस के आरोपों पर उनसे सवाल पूछते हैं। ऐसे में उन्हें पूरी जानकारी देने के लिए ही इसका आयोजन किया गया था। ऐसे में सवाल यह है कि गड़बड़ी हुई या नहीं? सच कौन बोल रहा है? फिलहाल कांग्रेस मामले को तूल देने में लगी है लेकिन उसके आरोप जनता की जुबान पर चढ़ते नहीं दिख रहे हैं।