निशा शर्मा।

नीतीश भारद्वाज की पहचान आज भी कृष्ण के तौर पर की जाती है। उनके नाम से कोई वाकिफ हो ना हो लेकिन उनके चेहरे को महाभारत सीरीयल के कृष्ण के तौर पर ही जाना जाता है। बी आर चोपड़ा निर्देशित महाभारत में नीतीश भारद्वाज की अदाकारी मील का पत्थर साबित हुई। यह उनके हुनर का हिस्सा ही था कि लोग उन्हे वास्तविक रूप में भी कृष्ण समझते थे। नीतीश ने कई बार मीडिया के सामने यह कबूला भी है कि उस भूमिका ने एक ओर उन्हें लोगों के बीच पहुंचाया तो वहीं इसी भूमिका ने उनके अभिनय करियर पर विराम चिन्ह लगा दिया। जिससे वह चाहकर भी नहीं मिटा पाए।

नीतीश ने महाभारत के बाद फिल्मों में हाथ आजमाया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली उसके बाद नीतिश यह समझ चुके थे कि फिल्मों में अभिनेता के तौर पर वह कभी नहीं उभर पाएंगे।

नीतीश ने फिल्मों में अभिनय को छोड़ निर्माता, निर्देशक के तौर पर काम करने लगे। वहां भी वह पूरी तरह सफल नहीं हुए। विफलता का यह दौर उनका काफी लम्बा चला। राजनीति में कदम रखा लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी।

नीतीश निराशा और असफलता से ज्यादा कृष्ण के तौर पर किए अपने अभिनय को सराहते हैं और कहते हैं कि उनकी बड़ी उपल्बधि यह नहीं है कि उन्होंने कितनी फिल्में की हैं उनकी उपल्बधि यह है कि आज भी जब वह कहीं जाते हैं तो लोग वास्तव में उन्हें कृष्ण समझते हैं और उनके पैर छूते हैं । यह एक कलाकार की सफलता का मापदंड होता है।

सिल्वर सक्रीन पर कृष्ण के तौर पर अपनी भूमिका की छाप छोड़ने के बाद नीतीश हिन्दी सिनेमा में वापसी नहीं कर पाए लेकिन अब जब उन्हे हिन्दी सिनेमा में कोई किरदार निभाए जमाना हो गया था तब वह एकाएक हिन्दी फिल्म मोहनजोदड़ो में रितिक रोशन के चाचा के तौर पर दर्शकों को नजर आते हैं। लेकिन असल बात यह है कि लोग उन्हे पहचान नहीं पाते कि यह शख्स वही शख्स है जिसने कृष्ण का किरदार निभाया था। इसका मतलब है कि अब नीतीश भारद्वाज के लिए हिन्दी सिनेमा में संभावनाएं हैं और अब जाकर वह उस कृष्ण के किरदार से बाहर आ चुके हैं जो लोगों के दिलो दिमाग पर राज करता रहा है।