लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग के फैसले पर भाजपा और कांग्रेस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, वहीं आम आदमी पार्टी फैसले को लोकतंत्र की हत्या बता रही है। आप की आगे की रणनीति पर दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय से अभिषेक रंजन सिंह की बातचीत।
चुनाव आयोग का फैसला पार्टी के लिए कितना बड़ा आघात है?
आम आदमी पार्टी के विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। देश के लोकतंत्र के लिए धब्बा है। इस फैसले से लोकतंत्र की हत्या हुई है। राजनीतिक बदले की भावना से दिल्ली सरकार को परेशान करने के लिए यह फैसला हुआ है। चुनाव आयोग ने बिना सुनवाई के यह निर्णय लिया है जो ठीक नहीं है। हम राष्ट्रपति महोदय से भी मिलना चाहते थे लेकिन वहां भी हमें समय नहीं मिला। अब हमारे पास अदालत का दरवाजा बचा है। हम अदालत से न्याय की उम्मीद रखते हैं। हम सारा तथ्य वहां देंगे और हमें उम्मीद है कि अदालत सही न्याय करेगी।
लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में आपकी याचिका खारिज कर दी। क्या सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को आम आदमी पार्टी चुनौती देगी?
विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के खिलाफ हमने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन अदालत ने हमारी याचिका को खारिज कर दिया। हमें अदालत से न्याय की आशा थी। लेकिन हम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचा है और हम सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे ताकि दिल्ली की जनता पर चुनाव का बोझ न पड़े।
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि चुनाव आयोग ने भाजपा के इशारे पर उनके बीस विधायकों को अयोग्य करार दिया है। चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर आप किस आधार पर यह आरोप लगा रहे हैं?
और किसका हाथ है। जिस तरह देश के कई राज्यों में संसदीय सचिव बने हैं जो मोटी तनख्वाह लेते हैं उन विधायकों पर तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। दिल्ली का विधायक जो एक रुपया नहीं लेता दिल्ली सरकार से- वे न तो कोई सुविधा लेते हैं और न ही कोई लाभ- फिर भी उनकी सदस्यता खत्म करना तो राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। इस मामले में चुनाव आयोग की भूमिका सही नहीं है। हमारे विधायकों को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।
इतना तो तय हो चुका है कि दिल्ली में इक्कीस विधानसभा सीटों पर अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी के लिए यह कितनी बड़ी चुनौती होगी?
हम दिल्ली की जनता पर चुनाव का आर्थिक बोझ नहीं थोपना चाहते हैं। लेकिन भाजपा अगर चुनाव थोपती है तो आम आदमी पार्टी उसका कड़ा मुकाबला करेगी जनता के साथ मिलकर। बबाना में भी इन्होंने चुनाव थोपा था जबरदस्ती। हमने इसका मुकाबला किया था अगर इस बार भी ऐसा होता है तो हम पूरी मेहनत के साथ जनता के सहयोग से इसका सामना करेंगे।
कांग्रेस भी आप विधायकों के अयोग्य ठहराये जाने को सही ठहरा रही है। साथ ही उसका कहना है कि दिल्ली सरकार ने संविधान के विरुद्ध अपने विधायकों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की?
कांग्रेस हमेशा भाजपा की भाषा बोलती है। पूरे दिल्ली में सीलिंग हो रही है लेकिन कांग्रेस चुप है। एफडीआई आ रही चुप बैठी है। अजय माकन भाजपा के प्रवक्ता हैं या कांग्रेस के अध्यक्ष हैं कभी-कभी भ्रम होने लगता है। शीला दीक्षित जब मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने खुद संसदीय सचिव बनाए थे। तब तो उन्होंने कोई बात नहीं कही उस वक्त। मुझे लगता है कि कांग्रेस को ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए। क्योंकि लोकतंत्र पर आज जो खतरा मंडरा रहा है वह देश के लिए सही नहीं है।
अगर इक्कीस सीटों पर चुनाव होते हैं तो क्या आम आदमी पार्टी नए उम्मीदवार मैदान में उतारेगी या फिर अयोग्य करार दिए गए विधायकों पर ही दांव लगाएगी?
अभी यह कहना जल्दीबाजी होगी कि इक्कीस सीटों पर चुनाव होंगे ही। बेशक हाईकोर्ट ने हमारी याचिका खारिज कर दी। लेकिन हमें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है। फिलहाल अदालत के अंतिम फैसले का इंतजार करना चाहिए। अगर खुदा न खास्ते चुनाव की नौबत आती है तो उम्मीदवारों के चयन का फैसला आम आदमी पार्टी की केंद्रीय समिति करेगी। हम अपनी तरफ से दिल्ली की जनता पर चुनाव का अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहते हैं। इसलिए देश की सर्वोच्च न्यायालय से हमें इंसाफ की उम्मीद है।
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