इरोम शर्मिला ने तोड़ा अनशन, लड़ेंगी चुनाव

इम्फाल। अफस्फा और सेना के अत्याचारों के खिलाफ पिछले 16 सालों से भूख हड़ताल पर बैठीं इरोम शर्मिला ने भूख हड़ताल खत्म कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्‍होंने मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने की मांग के समर्थन में अनशन शुरू किया था। उनके वकील ने बताया कि इम्फाल के कोर्ट ने इरोम शर्मिला को 10 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर रिहा किया है।

उन्‍होंने शहद लेकर अनशन तोड़ा और काफी भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि रणनीति में बदलाव कर रही हैं। कहा, ‘मैंने संघर्ष खत्म नहीं किया। मैं अहिंसा का रास्ता‍ अपनाऊंगी। मुझे शक्ति चाहिए। यहां की राजनीति बहुत गंदी है। मणिपुर की सीएम बनना चाहती हूं। मुझे राजनीति के बारे में कुछ भी नहीं पता, लेकिन मेरी ताकत लोगों की समस्याएं दूर करने के काम आएगी। मैं जिंदगी से प्‍यार करती हूं। मैं अपनी जिंदगी खत्‍म करना नहीं चाहती हूं, लेकिन मुझे न्‍याय और शांति चाहिए।’ वह पहले ही ऐलान कर चुकी हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने नवंबर 2000 में सुरक्षा बलों के हाथों 10 नागरिकों की मौत के बाद आफ्स्पा हटाने की मांग के समर्थन में भूख हड़ताल शुरू की थी। भूख हड़ताल पर बैठने के तीन दिन बाद ही उन्हें मणिपुर सरकार ने खुदकुशी की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।

अदालत ने उनसे कहा कि जमानत बांड भरने के बाद वह जो चाहे कर सकती हैं। शर्मिला से कई लोगों ने अनशन न तोड़ने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने इस अपील को नहीं माना। सरकार ने उनके लिए सुरक्षा की व्‍यवस्‍था की है कि इस फैसले से उन्हें उग्रवादियों से खतरे की आशंका जताई गई है।

आयरन लेडी इरोम का जन्‍म 14 मार्च 1972 को हुआ था। इरोम मणिपुर से आर्म्‍ड फोर्स स्‍पेशल पावर एक्‍ट 1958,  जिसे सशस्‍त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाए जाने की मांग पर 2 नवंबर 2000 से भूख हड़ताल शुरू की, जिसके तीसरे दिन सरकार ने इरोम शर्मिला को गिरफ्तार कर लिया। उन्‍होंने जब भूख हड़ताल की शुरुआत की थी,  वह 28 साल की थीं। कुछ लोगों को लगा था कि यह कदम एक युवा ने भावुकता में उठाया है, लेकिन समय के साथ इरोम शर्मिला के इस संघर्ष की सच्चाई लोगों के सामने आती गई। आज वह 44 साल की हो चुकी हैं।

उन्होंने असम राइफल के जवानों की मुठभेड़ में 10 नागरिकों को मार दिए जाने के खिलाफ यह शुरू किया था। इसके बाद से उन्हें नाक में नली लगाकर भोजन दिया जाने लगा। उनके नाम पर अब तक दो रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। पहला सबसे लंबी भूख हड़ताल और दूसरा सबसे ज्‍यादा बार जेल से रिहा होने का रिकॉर्ड। 2014 में अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उन्‍हें एमएसएन ने वूमन आइकन ऑफ इंडिया का खिताब दिया था।

इरोम शर्मिला ने 1000 शब्दों में एक लंबी ‘बर्थ’ शीर्षक से एक कविता लिखी थी। यह कविता ‘आइरन इरोम टू जर्नी-व्हेयर द एबनार्मल इज नार्मल’ नामक एक किताब में छपी थी। इस कविता में उन्‍होंने अपने लंबे संघर्ष के बारे में बताया है।

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