भारत व रूस मिलकर करेंगे सुखोई का रखरखाव

नई दिल्ली।

सुखोई-30 लड़ाकू विमानों को फिट रखने की योजना पर भारत और रूस मिलकर काम करेंगे। ये विमान वायुसेना की सबसे बड़ी ताकतों में से एक हैं। दोनों देशों के बीच जो समझौते हुए हैं उनके जरिये इन्‍हें फिट बनाए रखने के लिए बड़ी पहल की गई है। कम से कम 7 हादसों का शिकार हो चुके इन विमानों के रखरखाव के लिए रूसी कंपनियों से लांग टर्म सपोर्ट अग्रीमेंट किया गया है।

बुधवार को राजस्थान के बाड़मेर में एक सुखोई 30 विमान क्रैश हो गया था। 2014 से 2016 के बीच 34 बार हवा में इनके इंजन फेल होने के मामले सामने आ चुके हैं। भारतीय वायुसेना में इन विमानों की संख्या 200 से ज्यादा है।

भारत ने रूस से 272 सुखोई विमानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट कर रखा है, जिनका लाइसेंस के तहत प्रॉडक्शन हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) कर रहा है। काफी महंगे इन विमानों को साल 2000 के आसपास वायुसेना के लिए खरीदने का काम शुरू किया गया था और 2019 तक सभी विमान वायु सेना में शामिल होने की उम्मीद है।

हाल में एरो इंडिया शो के दौरान रूसी पक्ष ने इंजन पर भारत में उठ रही शंकाओं को खारिज किया था। इनके हादसों की वजहों में जानकार मेंटिनेंस में समस्या भी बताते हैं। इनके पुर्जों की सप्लाई समय पर नहीं हो पाती है।

इसी के मद्देनजर लड़ाकू विमान सुखोई के रखरखाव के लिए भारत-रूस के बीच दो समझौते हुए हैं। भारत और रूस ने भारतीय वायुसेना आईएएफ के एसयु-30 एमकेआई बेड़े को दीर्घकालिक मदद के लिए शुक्रवार को दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इससे इस विमान के रखरखाव और इसकी सेवा क्षमता में सुधार होगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल और पीजेएससी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ऑफ रूस के बीच हुए एक समझौते के जरिये पांच वर्षों तक कल-पुर्जे और तकनीकी सहायता की आपूर्ति की जाएगी।

दूसरा समझौता एचएएल ओर जेएससी यूनाइटेड इंजन कॉरपोरेशन के बीच रूस निर्मित इंजनों के कल-पुर्जों की आपूर्ति के लिए है। भारत में अर्कुट कॉरपोरेशन द्वारा खासतौर से भारत के लिए डिजाइन और एसएएल द्वारा महाराष्ट्र के नासिक में निर्मित लगभग 230 एसयू-30 एमकेआई हैं।

भारतीय वायुसेना के अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान को अतीत में सेवा योग्यता संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ा है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक सीएजी की दिसंबर 2015 में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना के एसयू-30 एमकेआई विमान खराब सेवा योग्यता से प्रभावित थे, जिनकी सेवा योग्यता निर्धारित 75 प्रतिशत नियम के मुकाबले मात्र 55 प्रतिशत ही रही।

जनवरी 2017 में तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि लड़ाकू विमानों की सेवा योग्यता सुधरी है और अब यह 60 प्रतिशत है। जानकार सूत्रों ने कहा कि एसयू-30 एमकेआई बेड़े की मौजूदा सेवा योग्यता 60 और 55 प्रतिशत के बीच है।

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