बीजिंग। चीन के एक प्रभावी थिंक टैंक ने कहा है कि भारत के किसी ‘षड्यंत्र’ ने बलूचिस्तान में 46 अरब डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजना को बाधित किया तो चीन को ‘मामले में दखल देना पड़ेगा और चीन व पाकिस्तान मिलकर कदम उठाएंगे। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की बुरी स्थिति पर चिंता जताना भी चीन के लिए ‘चिंता का विषय’ है। उधर, पाकिस्तान के बलूचिस्तान के बाद अब सिंध प्रांत में प्रदर्शनकारियों ने आजादी के नारे लगाए हैं। पाकिस्तान में जितने हिंदू बचे हैं, उनमें सबसे ज्यादा सिंध प्रांत में रहते हैं। सिंध में हिंदू व्यापारियों का खासा प्रभाव रहा है। 1947 से पहले यहां गुजराती बोलने वाले पारसी समुदाय के लोग भी रहते थे। पाकिस्तान बनने के बाद जैसे-जैसे इस्लामिक कट्टरपंथियों का प्रभाव बढ़ा, वैसे-वैसे हिंदुओं के लिए सिंध में रहना मुश्किल होता गया।

चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेंप्रोरी इंटरनेशनल रिलेशन्स के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एंड साउथ-ईस्ट एशियन एंड ओसिनियन स्टडीज़ के निदेशक हू शीशेंग ने कहा, स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान का जो जिक्र किया है वह चीन और इसके विद्वानों के लिए ‘ताजा चिंता’ का विषय है। चीन की स्टेट सिक्योरिटी के मंत्रालय से संबद्ध इस प्रभावी थिंकटैंक के अध्ययनकर्ता ने कहा कि भारत का अमेरिका से बढ़ता सैन्य संबंध और दक्षिण चीन सागर पर इसके रुख में बदलाव चीन के लिए खतरे की घंटी के समान है। चीन को इस बात का डर है कि भारत, पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में ‘सरकार विरोधी’ तत्वों का इस्तेमाल कर सकता है, जहां चीन सीपीईसी में 46 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है।

लंदन में चीनी दूतावास के बाहर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के मुद्दे पर बलूच और सिंधी नेताओं ने प्रदर्शन किया है। इस मौके पर बलूच नेता ने कहा, हमारी मर्जी के बिना चीन और पाकिस्‍तान कुछ नहीं कर सकते। विरोध के दौरान ये नारे भी लगे, ‘कदम बढ़ाओ मोदीजी, हम तुम्हारे साथ हैं।’ इससे पहले जर्मनी के लीपजिग में बलूच लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ और मोदी के समर्थन में नारेबाजी की थी। बलूच नेता नूरदीन मेंगल ने कहा, ‘जो चीज चाहें, वे छीन सकते हैं, यही इन दोनों (चीन-पाकिस्तान) की कोशिश रहती है। हम पाक-चीन से यही कहना चाहते हैं कि बलूच लोगों की मर्जी के बिना वे कुछ नहीं कर सकते।’

लंदन में ही वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस के चेयरमैन लाखू लुहाना ने कहा, ‘हम चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट को किसी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे।’ इससे पहले पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के हिस्से वाले गिलगित-बाल्तिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा था, ”पिछले कुछ दिनों में बलूचिस्तान, गिलगित, पाक के कब्जे वाले हिस्से के लोगों ने मुझे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है। मेरा आभार व्यक्त किया है। मेरे प्रति सद्भावना जताई है। दूर-दूर बैठे लोग हैं। जिस धरती को मैंने देखा नहीं, जहां के लोगों से कभी मुलाकात नहीं हुई, वे प्रधानमंत्री का आदर करते हैं तो ये मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है। मैं गिलगित, बलूचिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर के लोगों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।”

लाल किले की प्राचीर से संबोधन से पहले मोदी ने उच्‍चस्‍तरीय बैठक की थी। मोदी कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर उठाने के पाकिस्तानी रवैये और घाटी में उसकी बढ़ती हरकतों से बेहद नाराज थे। उनका मानना था कि पाकिस्तान को अब ज्यादा ताकत से जवाब दिया जाना चाहिए। खास बात ये है कि बैठक में मौजूद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मोदी के विचारों का समर्थन कर रहे थे।