उदय चन्द्र सिंह। नक्सलियों का नारको आतंकवाद की तरफ झुकाव देश के लिए बड़ा खतरा है। नशे के कारोबार के लिए हाल के सालों में बेशक पंजाब कुख्यात रहा है लेकिन पूर्वी भारत के नक्सल प्रभावित इलाकों में अफीम की खेती धड़ल्ले से चल रही है। बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाकों में भी अफीम की खेती लंबे समय से होती रही है। इससे होने वाली काली कमाई का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए होता रहा है यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है।
झारखंड के अलावा बिहार में भी अफीम की खेती हो रही है। इसी साल जनवरी-फरवरी में बिहार के बाराचट्टी में करीब 600 एकड़ भूमि पर अफीम की फसल को नष्ट किया गया। यह इलाका भी नक्सलियों के प्रभाव वाला है। इस क्षेत्र में अब भी हजारों एकड़ भूमि पर अफीम की तैयार फसल खड़ी है लेकिन पुलिसकर्मी नक्सलियों के डर से उन इलाकों में जाने से कतराते हैं। बताया जाता है कि इन इलाकों में अफीम की खेती की आय का एक बड़ा हिस्सा नक्सली लेवी के रूप में वसूलते हैं। इतना हीं नहीं पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा पर जिस तेजी से अफीम की खेती बढ़ी है वह चिंताजनक है। उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों और पड़ोसी देश म्यांमार में पहले से ही अफीम की खेती होती रही है। इससे होने वाली आय से उत्तर पूर्व के उग्रवादी संगठन हथियार खरीद कर खुद को मजबूत करते रहे हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान का उदाहरण सबके सामने है जहां कई जिहादी संगठनों ने अफीम के पैसे से हथियार खरीदे और अब वहां की सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। भारत में भी खुफिया अधिकारी कई बार इस आशय का अलर्ट जारी कर चुके हैं कि उत्तर पूर्व के उग्रवादी संगठन अफीम के पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने में कर रहे हैं ।
पूर्वी भारत से पहले नशे के लिए पंजाब कुख्यात था। आज भी पंजाब के रास्ते सीमा पार से ड्रग्स भारत पहुंच रहे हैं। अफगानिस्तान से नाटो सैनिकों की वापसी के बाद इसमें तेजी आई है। पंजाब से ड्रग भेजने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता अटारी तक आने वाला रेल का रास्ता है। दूसरा रास्ता गुरदासपुर से लेकर फिरोजपुर जिले तक के सीमावर्ती खेत हैं। पाकिस्तान के तस्कर भारतीय क्षेत्र में बाड़ के बाहर खेतों में हेरोइन के पैकेट छुपा देते है। फिर मोबाइल के जरिये भारतीय एजेंटों को जगह की जानकारी दे दी जाती है। दिन में जब बाड़ की दूसरी तरफ के खेतों में किसानों के ट्रैक्टर जाते हैं तो उसमें पैकेट डाल कर बाड़ के भीतर ले आया जाता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में इस समय 200 से अधिक बड़े ड्रग माफिया सक्रिय हैं। ये ड्रग माफिया भारत से नशीले पदार्थों को दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजते हैं। कनाडा और यूरोप तक ड्रग की तस्करी भारत से ही होती है। यहां से हेरोइन दुबई भी भेजा जाता है। दरअसल, पंजाब में हेरोइन गोल्डन क्रिसेंट रूट (अफगानिस्तान-पाकिस्तान) से आता है। जबकि भारत में ड्रग तस्करी का एक और मार्ग म्यांमार-थाईलैंड-लाओस और वियतनाम है। इस रास्ते से होने वाली तस्करी की आय का एक हिस्सा उतर-पूर्व में सक्रिय आतंकी संगठनों को मिलता है। ऐसे में देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में अगर अफीम की खेती जोर पकड़ रही है तो निश्तित तौर पर यह चिंताजनक है।