देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 11 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले को अंजाम देने का आरोप एक बड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसकी कंपनी पर लगा है जिन्होंने बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से गबन किया है। शराब कारोबारी विजय माल्या की तरह ही नीरव मोदी भी देश छोड़ कर भाग चुका है। सूत्रों का कहना है कि मोदी को भी माल्या की ही तरह पहले ही इसकी भनक लग चुकी थी कि उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो सकती है। माल्या पर भी बैंकों का 9,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हड़पने का आरोप है।

मामला सामने आने के बाद वित्त मंत्रालय और पूरे बैकिंग जगत में हड़कंप मचा हुआ है कि रिजर्व बैंक के सख्त नियमों और बैंक के आला अधिकारियों की नाक के नीचे  इस तरह की हेराफेरी कैसे संभव हुई। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों से संदिग्ध ट्रांजैक्शन से जुड़ी रिपोर्ट मांगी हैं। मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को एक हफ्ते में जमा करने को कहा है।

पीएनबी के एमडी सुनील मेहता ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई दी कि नीरव मोदी से वसूली की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह मामले पिछले महीने ही बैंक के नोटिस में आ गया था।वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी संपत्ति की जांच और जब्ती की कार्रवाई शुरू की है। शुरुआती जांच के बाद बैंक के एक डिप्टी मैनेजर सहित 10 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। आशंका है कि इस घपले का असर पीएनबी के साथ-साथ कुछ दूसरे बैंको पर भी पड़ सकता है।

कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला?

pnbइस पूरे घोटाले को समझने के लिए आपको यह जानना जरूरी है कि लेटर ऑर अंडरटेकिंग यानी LoU क्या होता है और इसकी जरूरत कब पड़ती है? लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी अंतरराष्ट्रीय बैंक या किसी भारतीय बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा की ओर से जारी किया जाता है। इस लेटर के आधार पर बैंक, कंपनियों को 90 से 180 दिनों तक के शॉर्ट टर्म लोन मुहैया कराते हैं। इस लेटर के आधार पर कोई भी कंपनी दुनिया के किसी भी हिस्से में राशि को निकाल सकती है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर आयात करने वाली कंपनियां विदेशों में भुगतान के लिए करती हैं। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग किसी भी कंपनी को लेटर ऑफ कम्फर्ट के आधार पर दिया जाता है। लेटर ऑफ कम्फर्ट कंपनी के स्थानीय बैंक की ओर से जारी किया जाता है जिसे बैंक अपने कस्टमर के बारे में आकलन पर तैयार करता है। जैसे उसकी क्रेडिट हिस्ट्री क्या है, वह कितना पैसा चुका सकता है, उसका पिछला लेन-देन कैसा रहा है।

शुरूआती जांच में पता चला है कि ज्वैलरी डिजायनर नीरव मोदी और उनके सहयोगी पीएनबी से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग लिया करते थे। पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में इस लेटर का ही इस्तेमाल किया गया है। यह लेटर न तो बैंक के सेंट्रलाइज्ड चैनल से दिया गया और न ही जरूरी मार्जिन मनी थी। लेटर जारी होने के बाद इन LoU की जानकारी स्विफ्ट कोड मैसेजिंग के जरिए सभी जगह भेज दी गई। इन LoU को नीरव मोदी ने विदेशों में अलग अलग सरकारी और निजी बैंक की शाखाओं से भुना लिया। भुनाई हुई राशि करीब 11000 करोड़ रुपये की थी।

क्या है ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ का चक्कर?

नीरव मोदी और उनके सहयोगियों की तीन कंपनियों- Diamonds R US, Steller Diamonds और Solar Exports ने पीएनबी से जनवरी में ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ की मांग की। इसकी एवज में बैंक ने कैश मार्जिन जमा करने को कहा। इस पर कंपनी का जवाब था कि उनको काफी पहले से ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ मिलता रहा है। जब बैंक के रिकॉर्ड में पुराने ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ का कोई जिक्र नहीं मिला तो शक बढ़ा। जांच में पता चला है कि मुंबई के एक ब्रांच के दो कर्मचारियों जिसमें डिप्टी मैनेजर शामिल है, की मिलीभगत से फर्जी ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ जारी हो रहे थे जिसके आधार पर नीरव मोदी और उनके सहयोगियों की कंपनी इंटरनेशनल बैंक की शाखाओं से ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ लेती रही।

कैसे खुला घोटाला?
पे ऑर्डर की तरह ही ये लेटर ऑफ क्रेडिट भी कंपनी की ओर से भुगतान न करने पर उन बैंकों में भुगतान के लिए पेश किए जाते हैं जहां से लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी हुआ होता है। पीएनबी के पास जब यह लेटर ऑफ अंडरटेकिंग भुगतान के लिए आए तो बैंक ने इनका भुगतान करने में असमर्थता जताई जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। इस घोटाले का खुलासा आरोपी अधिकारी के रिटायरमेंट के बाद हुआ।

बैंक की सफाई

पीएनबी के एमडी सुनील मेहता
पीएनबी के एमडी सुनील मेहता

इस महाघोटाले पर गुरुवार को पीएनबी मैनेजमेंट सामने आया और सफाई दी। बैंक के एमडी सुनील मेहता ने कहा कि फर्जीवाड़े की रकम वसूलने का काम शुरू हो चुका है और आरोपी की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया चल रही है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यह मामला 2011 से ही चल रहा था जिसका पता पिछले महीने चला। मेहता ने कहा कि दोषी को भारत लाने की पूरी कोशिश की जाएगी। यह पूछे जाने पर कि क्या नीरव मोदी ने पैसे लौटाने का कोई प्लान बताया था तो उन्होंने कहा, ‘नीरव ऐसी एक योजना के साथ आए थे और अभी उस पर विचार चल रहा है।’ मेहता ने कहा कि पीएनबी इस मामले से निपटने में सक्षम है। उन्होंने कहा, ‘बैंक इस फर्जीवाड़े के दोषियों को पकड़ने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए अपनी पूरी क्षमता लगा रहा है और वह इस मामले निपटने में पूरी तरह सक्षम है।’उन्होंने बताया, ‘जनवरी के तीसरे हफ्ते में हमें इस फर्जीवाड़े का पता चला तो हमने 29 जनवरी को सीबीआई में शिकायत की और 30 जनवरी को एफआईआर दर्ज हो गया।’ पीएनबी की शिकायतों के आधार पर ही आरोपियों के विभिन्न ठिकानों पर जांच एजेंसियों के छापे पड़ रहे हैं। इस मामले में ईडी ने देशभर में नीरव मोदी से जुड़े 9 जगहों पर छापेमारी की है। इनमें 4 मुंबई, 2 सूरत और 2 दिल्ली में सि्थत है। ईडी ने नीरव मोदी के शोरूम और घर में भी छापेमारी की है। छापेमारी के बाद ईडी ने मुंबई के हाजी अली दरगाह के पास वर्ली में स्थित नीरव मोदी का घर भी सील कर दिया है। नीरव मोदी ने पीएनबी को खत लिख कर कहा है कि वह सभी पैसे लौटाने को तैयार हैं। उन्होंने इसके लिए 6 महीने का समय मांगा है। उन्होंने कहा है कि वह फायर स्टार डायमंड्स के जरिये 6400 करोड़ रुपये लौटा देंगे।

केतन पारिख मामले में भी हुआ था ऐसा

2001 में हुए बैकिंग घोटाले में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। सिस्टम की इसी खामी का फायदा 2001 में शेयर दलाल केतन पारिख ने उठाया था। उस समय माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक ने बिना सिक्योरिटी और मार्जिन मनी के केतन पारिख की कंपनी केपी एंटिटीज को समय समय पर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी किए थे। केतन पारिख इस पैसे का इस्तेमाल शेयर बाजार में पैसा लगाने में करता था। पीएनबी की तरह ही उस समय माधवपुरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का भुगतान करने में असमर्थता जताई थी जिसके बाद यह घोटाला सामने आया था।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को घेरा

यह घोटाला अब सियासी रूप लेता जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर नीरव मोदी मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने दावा किया है कि नीरव मोदी को पीएम मोदी के साथ दावोस में देखा गया था। राहुल ने लिखा कि भारत को लूटने का तरीका नीरव मोदी ने समझाया है। सबसे पहले नरेंद्र मोदी को गले मिलो, दावोस में पीएम मोदी के साथ भी दिखो, 12,000 करोड़ रुपये चुराओ और विजय माल्या की तरह देश से पैसे लेकर भाग जाओ।

इस संबंध में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर कई आरोप लगाए हैं। सुरजेवाला ने ट्वीट कर पूछा कि आरोपी नीरव मोदी कौन हैं? क्या यह नया #ModiScam है? क्या उसे भी ललित मोदी और विजय माल्या की ही तरह सरकार के अंदर से किसी आदमी ने सूचना दी थी ताकि कार्रवाई होने से पहले वह विदेश भाग जाए? क्या यह नियम बन गया है कि आरोपियों को जनता के पैसे के साथ भागने दिया जाए? सुरजेवाला ने ट्वीट कर पूछा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है? उन्होंने कहा कि नीरव मोदी छोटा मोदी है।

प्रधानमंत्री से कांग्रेस के पांच सवाल…

1. फर्जी लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग के आधार पर बैंकिंग सिस्टम के साथ खिलवाड़ कैसे?

2. घोटाले के बारे में 26 जुलाई, 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री को जानकारी दी गई. लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

3. 29 जनवरी, 2018 को सीबीआई को पीएनबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्र लिखकर कहा की नीरव मोदी पर कार्रवाई के लिए और देश छोड़ने की आशंका जताई, लेकिन नीरव मोदी भाग कैसे गए?

4. नीरव मोदी को सरकार के अंदर से कौन संरक्षण दे रहा है? पूरा सिस्टम बायपास कैसे हो गया?

5. बैंकिंग सिस्टम को कैसे धोखा देते हुए नीरव मोदी, मोदी सरकार के नीचे से घोटाले को अंजाम देने में कामयाब हुए?