नई दिल्‍ली। राजधानी, शताब्दी और दूरंतो ट्रेनों में फ़्लेक्सी फ़ेयर सिस्टम लागू करने के फ़ैसले पर लोगों की नाराजगी का दायरा इतना बढ़ गया कि केंद्र में सत्‍तारूढ़ पार्टी भाजपा भी नाराज हो गई। अब सरकार इस पर दोबारा विचार कर सकती है। भाजपा के विरोध के बाद रेल मंत्रालय ने इसके संकेत दिए हैं। इस सिस्टम को दूसरी ट्रेनों में लागू न करने का भी फैसला किया गया है।

रेल मंत्रालय ने कहा है कि इन तीन ट्रेनों में यह फॉर्मूला प्रयोग के तौर पर लागू किया गया है और कुछ समय बाद इसकी समीक्षा की जाएगी। भाजपा का कहना है कि इस सिस्टम से रेलवे की आमदनी तो न के बराबर बढ़ेगी, लेकिन मध्य वर्ग के नाराज़ होने और सरकार की छवि बिगड़ने का ख़तरा ज़्यादा है। फ्लेक्सी फेयर सिस्टम शनिवार से लागू होने वाला है। गुरुवार को पूरे दिन रेल मंत्रालय के अधिकारी इस फ़ैसले का बचाव करते रहे। उनकी दलील है कि हर रोज दो करोड़ तीस लाख से ज्यादा लोग रेलवे का इस्तेमाल करते हैं और इन तीन ट्रेनों में बैठने वालों का संख्या एक फीसदी से भी कम है और इसलिए फ्लेक्सी किरायों का असर बहुत कम यात्रियों पर ही पढ़ेगा। हर दिन बारह हज़ार से ज्यादा रेलगाड़ियां चलती हैं और फ्लेक्सी किराया सिर्फ 81 गाड़ियों पर नौ सितंबर से लागू होगा।

इन किरायों से रेलवे को करीब 500 करोड़ रुपये की आमदनी का अंदाज़ा है। लेकिन सीधे दस फीसदी किराया बढ़ाने पर उसे 600 करोड़ रुपये की ही आमदनी होती। रेल मंत्रालय ने बचाव में ये भी कहा है कि कई देशों में फ्लेक्सी किराया प्रणाली लागू है। वो इसके लिए यूरो एक्सप्रेस और एम्ट्रैक का उदाहरण देते हैं। लेकिन भाजपा के कई नेताओं के गले ये दलीलें नहीं उतरी हैं। उनका कहना है कि इन किरायों से रेलवे को आमदनी तो न के बराबर है मगर इससे सरकार की छवि को धक्का ज्यादा पहुंचेगा और मध्य वर्ग के नाराज होने का ख़तरा है। पार्टी की ये बात सरकार तक पहुंचाई गई जिसके बाद रेल मंत्रालय ने अपने कदम पीछे खींचने के संकेत दिए हैं।

रेलवे के इस कदम का बचाव करते हुए रेलवे बोर्ड (ट्रैफिक) के सदस्‍य मोहम्‍मद जमशेद ने कहा, ‘देश में सड़क और वायुमार्ग की तुलना में आज भी रेलवे यात्रा का सस्‍ता माध्‍यम है। वर्तमान में हम यात्री क्षेत्र में 33000 करोड़ रुपये का नुकसान उठा रहे हैं क्‍योंकि हम 36 पैसे प्रति किलोमीटर की दर से चार्ज कर रहे हैं।’ यात्रियों से मिलने वाले राजस्‍व का लक्ष्‍य इस वित्त वर्ष में 51 हजार करोड़ रुपये है जो पिछले वर्ष 45 हजार करोड़ रुपये था, यानी 2016-17 में इसमें 6000 करोड़ रुपये की वृद्धि का लक्ष्‍य है।