देश के कई राज्यों में किसानों के आंदोलन को देखते हुए केंद्र सरकार ने सस्ते कर्ज की योजना चालू वित्त वर्ष 2017-18 में भी जारी रखने का फैसला किया है। इस योजना के तहत किसानों को सीमित अवधि के लिए तीन लाख रुपये तक का कर्ज दिया जाता है। वैसे तो बैंक नौ फीसदी की दर पर कृषि कर्ज मुहैया कराते हैं। मगर इस योजना के लिए केंद्र सरकार बैंकों को दो फीसदी ब्याज सहायता उपलब्ध करवाती है। इससे यह कर्ज सात फीसदी ब्याज की दर पर दिया जाता है। मगर अगर किसान तय समय पर कर्ज की राशि लौटा देता है तो उसे चार फीसदी ब्याज ही देना पड़ता है। बाकी तीन फीसदी ब्याज का भुगतान केंद्र सरकार करती है। यानी कुल पांच फीसदी की ब्याज सब्सिडी सरकार देती है।
इस योजना की अवधि इस साल 31 मार्च को खत्म हो गई थी जिसे आगे बढ़ाने से सरकार ने पहले इनकार कर दिया था मगर अब किसानों के बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने इसे एक साल और जारी रखने का फैसला किया है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चालू वित्त वर्ष के दौरान अल्पकालिक फसली ऋण पर ब्याज सब्सिडी को मंजूरी दे दी है। इस पर चालू वित्त वर्ष में कुल 20,339 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। अधिकारी ने कहा कि फसली कर्ज को सही समय पर लौटाने वाले किसानों को तीन लाख रुपये तक का अल्पकालिक कर्ज चार प्रतिशत की ब्याज दर पर उपलब्ध होता रहेगा। इस व्यवस्था को जारी रखते हुए रिजर्व बैंक ने पिछले महीने बैंकों को अल्पकालिक फसली ऋण पर ब्याज राहत जारी रखने को कहा था।
यह फैसला ऐसे समय में किया गया है जब मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में कर्ज माफी के लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं। यूपी और महाराष्ट्र की राज्य सरकारें पहले ही छोटे किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा कर चुकी हैं। दो दिन पहले ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि केंद्र सरकार राज्यों को किसानों के ऋण माफ करने के लिए धन उपलब्ध नहीं कराएगी। उन्होंने साफ किया था कि जो राज्य किसानों का ऋण माफ करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए स्वयं संसाधन जुटाने होंगे।