कर्मचारी क्‍यों हुए मायूस

नई दिल्ली। प्रोवीडेंट फंड यानी पीएफ पर ब्‍याज दर घटाए जाने से कर्मचारियों में निराशा है। इससे पहले पीएफ निकालने से संबंधित नया नियम बनाए जाने से कर्मचारियों को असुविधा हो रही थी, लेकिन श्रम संगठनों के विरोध की वजह से उस नियम को वापस ले लिया गया था। अब ब्‍याज दर घटा दिए जाने से कर्मचारी अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए ब्याज दर की घोषणा कर दी है। ईपीएफओ ने 2016-17 के लिए भविष्य निधि जमा पर 8.65 प्रतिशत ब्याज दर तय की। पिछले वित्त वर्ष 2015-16 के लिए ब्याज दर 8.8 थी।

ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या चार करोड़ से अधिक है। ईपीएफओ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में ये फैसला लिया गया। कर्मचारियों में इस फैसले से निराशा होगी।

इससे पहले वित्त मंत्रालय ने इसी साल 2015-16 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया था, जबकि श्रम मंत्री की अगुवाई वाली सीबीटी ने 8.8 प्रतिशत ब्याज की मंजूरी दी थी। ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया था और अंशधारकों को 8.8 प्रतिशत ब्याज देने को सहमति दे दी।

पहले कयास लगाए गए कि ईपीएफओ ब्याज दर में बदलाव नहीं करेगा।  लेकिन 8.8 प्रतिशत की ब्याज दर पर करीब 383 करोड़ रुपये का नुकसान होता।

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