खान बंद, लाखों बेरोजगार

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश से एक झटके में राजस्थान की 27 हजार खानें बंद हो गर्इं। इससे दो लाख लोगों का रोजगार प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर प्रभावित हुआ। सरकार के खजाने पर भी इसका असर पड़ रहा है। रॉयल्टी से जो कमाई होती है उसमें काफी कमी आई है। इसे लेकर राज्य सरकार ने एनजीटी में अपील की है जिस पर पांच जुलाई को सुनवाई होनी है। उम्मीद है कि छह हजार खानों को चलाने की अनुमति मिल जाए।

लगभग डेढ़ साल पहले एनजीटी ने आदेश दिया था कि राज्य में कोई भी खान बिना पर्यावरण मंजूरी के नहीं चलेगी। बिना मंजूरी के चलने वाली खानों को बंद किया जाएगा। पिछले साल जून तक ही इस आदेश का पालन करना था लेकिन चंद खान मालिकों को छोड़कर किसी ने पर्यावरण मंजूरी लेने के लिए आवेदन ही नहीं किया। ऐसे में एनजीटी की ओर से एक मौका दिया गया। इस बीच राज्य सरकार केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरण मंजूरी के नियम में बदलाव के लिए लगातार संपर्क में रही। पहले पर्यावरण मंजूरी राज्य और केंद्र स्तर पर ही देने का प्रावधान था। इस नियम में केंद्र ने 21 जनवरी 2016 को देश भर के लिए बदलाव कर दिया। एक हेक्टेयर तक के खानों की पर्यावरण मंजूरी जिला स्तर पर ही देने का नया नियम बना दिया गया है। इसके बाद सरकार की ओर से इस दिशा में काम शुरू किया गया लेकिन जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटियों के गठन में ही दो महीने का समय गुजर गया। जब तक आवेदन आते, उसकी जांच होती, 3 मई 2016 को एनजीटी ने एक आदेश जारी कर कह दिया कि 31 मई तक बिना पर्यावरण मंजूरी के चल रही खानों को बंद किया जाए।

इस समय तक छह हजार खानों को ही मंजूरी मिली। प्रदेश में 33 हजार से अधिक छोटी खानें हैं। इनमें से 25 हजार खानों ने ही पर्यावरण मंजूरी लेने के लिए आॅनलाइन आवेदन किया था। इनमें से 10 हजार ऐसे खान मालिक थे, जिन्होंने आॅनलाइन तो आवेदन कर दिया पर हार्ड कॉपी पर्यावरण विभाग में जमा नहीं कराई। ऐसे में सिर्फ 15 हजार आवेदनों पर ही पर्यावरण विभाग विचार कर रहा है।

raj-kumar---Copy

राजस्थान के लोगों के लिए खानें आजीविका का एक बड़ा जरिया है। सरकार लोगों को राहत दिलाने के लगातार प्रयास कर रही है। राज्य सरकार केंद्र से लगातार बात कर रही है।
राज कुमार रिणवा, (खान, वन एवंं पर्यावरण मंत्री, राजस्थान)

टीआर खानों को राहत नहीं
टर्म आॅफ रेफरेंस (टीआर) वाली 6500 खानों को खनन की मंजूरी के एनजीटी के सिंगल बेंच के आदेश को डबल बेंच ने 24 घंटे के भीतर ही पलट दिया। आठ जून को एनजीटी ने इन खानों को खनन की मंजूरी दी थी। फैसला आते ही डबल बेंच ने वकीलों को फिर से बुलाया और इस आदेश पर रोक लगाते हुए इन खानों को बंद रखने का नया फैसला सुनाया। इससे राज्य सरकार के साथ ही खान मालिकों को भी तगड़ा झटका लगा। राज्य सरकार के मंत्री से लेकर आला अफसरों तक की पैरवी किसी काम नहीं आई। इस मामले में मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को मदद के लिए पत्र भेजा था। पर केंद्रीय मंत्रालय भी राजस्थान की सहायता नहीं कर पाया। डबल बेंच ने साफ कर दिया कि इस मामले की सुनवाई नियमित बेंच में पांच जुलाई को ही की जाएगी। इससे पहले किसी प्रकार की राहत की उम्मीद नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *